क्या सोयाबीन का भाव 5000 तक जा सकता है –किसान और व्यापारी भाइयों, सोयाबीन का बाज़ार गिरता गिरता मंडियों में 4000 से 4200 और प्लांटों में 4200 से 4500 तक रह गया है, हालाँकि बाज़ार पिछले कुछ दिनों में 50-100 रुपये सुधरा भी है, लेकिन अन्य सस्ते तेलों की उपलब्धता ने सोयाबीन तेल की मांग कमज़ोर कर दी है, जिससे कीमतों में गिरावट आती जा रही थी, लेकिन मांग फिर से बढ़ने से सोयाबीन की कीमतों में सुधार देखने को मिला है। इस साल सोयाबीन के उत्पादन में कमज़ोर बुवाई, प्राकृतिक आपदाओं (भारी बारिश) और कीटों (येलो मोजेक वायरस) के कारण भारी गिरावट (15-20% तक) का अनुमान है, जिससे फ़सल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। ‘सोपा’ (SOPA) ने 2025-26 सीज़न के लिए उत्पादन 105.36 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है, जो व्यापारिक अनुमान 95 लाख टन के करीब है। हालाँकि उत्पादन कम होने की उम्मीद है, किसान चिंतित और नाराज़ हैं क्योंकि उन्हें सरकार द्वारा तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5328 प्रति क्विंटल के मुकाबले बाज़ार में केवल ₹3800 से ₹4100 प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है, और मंडियों में आवक भी कम हो गई है। किसान सरकारी नीति और ख़रीदी व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। आने वाले दिनों में, कमज़ोर फ़सल के बावजूद सोयामील की स्थिर मांग, स्टॉकिस्टों और तेल मिलों द्वारा मौजूदा भाव पर खरीदारी शुरू करने की संभावना और सरकारी ख़रीद (मध्य प्रदेश में ‘भावांतर भुगतान योजना’, महाराष्ट्र और राजस्थान में MSP पर ख़रीदी) की उम्मीद से बाज़ार में गिरावट सीमित रहेगी। बात करें कि क्या सोयाबीन का भाव फिर 5000 के स्तर तक पहुँच सकता है, तो विशेषज्ञों का कहना है कि मध्यम से लंबी अवधि में सोयाबीन के भाव में ₹400-₹500 प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी हो सकती है और यह तेज़ी लगभग दिसंबर से जनवरी के महीने तक देखी जा सकती है, हालाँकि 5000 का आँकड़ा फिर से छूना मुश्किल लग रहा है, लेकिन 4800 से 4900 तक तो जा सकता है। बाकि व्यापार अपने विवेक से
चना का भाव फिर से हुआ 6000 के पार
किसान और व्यापारी भाइयों, देशी चना का बाज़ार कल दीवाली के त्योहार की मांग बढ़ने के कारण बाज़ार बंद में भी दिल्ली मंडी लारेंस रोड पर 6000 से 6050 तक का कारोबार हुआ, जिससे पता चलता है कि अगर मांग में कुछ सुधार आए तो बाज़ार और भी तेज़ हो सकता है और यह दो से तीन दिनों में दिख चुका है। शनिवार को चना का बाज़ार 100 रुपए बढ़कर 5950 पर बंद हुआ था और कल दीवाली के दिन बाज़ार बंद भाव 100 रुपए और तेज़ बोले गए, जिससे दिल्ली मंडी में देशी चना का भाव 200 रुपए बढ़कर 6050 पर पहुंच गया है। अब बात करें आगे की तेज़ी-मंदी की, तो आगामी शादियों के सीज़न को देखते हुए बाज़ार में और सुधार देखने को मिल सकता है, लेकिन दीवाली के त्योहार के कारण चना का भाव अचानक से बढ़ा है, इसलिए बाज़ार में एक करेक्शन आने की पूरी उम्मीद है और दीवाली का त्योहार समाप्त होने के कारण दाल मिलों की मांग में कमी आने की गुंजाइश है, जिससे बाज़ार कुछ डाउन हो सकता है। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे
दिवाली पर गेहूं की कीमतों में आया सुधार
किसानों और व्यापारियों भाइयों, कल दिवाली के दिन दिल्ली मंडी लॉरेंस रोड पर गेहूँ की कीमतों में 11 रुपये का मामूली सुधार देखने को मिला है। इस बार दिवाली पर भी गेहूँ से बने उत्पादों, जैसे आटा, मैदा, सूजी, की कोई खास मांग नहीं दिखी। पिछले 15-20 दिनों से बाज़ार सीमित दायरे में ही घूम रहा है – न तो ज़्यादा तेज़ हो रहा है और न ही ज़्यादा नीचे जा रहा है। गेहूँ की कीमतें ₹25 से ₹50 की तेज़ी-मंदी के साथ कारोबार कर रही हैं। हालाँकि, बाज़ार पर बढ़ती आवक का भी दबाव देखा जा रहा है। पिछले 10-15 दिनों से गेहूँ की आवक बढ़ रही है और सुस्त पड़ी मांग से गेहूँ की कीमतों में तेज़ी नहीं बन पा रही है। हालाँकि, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और अन्य राज्यों में धान की कटाई शुरू हो चुकी है और अगले महीने से बुवाई करने वालों की तरफ़ से मांग में सुधार आने की उम्मीद है। लेकिन, जैसा कि हम आपको बार-बार बता रहे हैं कि इस बार गेहूँ की कीमतों में बड़ी तेज़ी की उम्मीद कम है। अगर गेहूँ की कीमतें ₹3000 के आँकड़े तक भी पहुँच जाएँ, तो बड़ी बात होगी, क्योंकि इस बार सरकार के पास गेहूँ का बम्पर स्टॉक है, जिससे सरकार गेहूँ के बाज़ार को पूरी तरह से अपने काबू में कर सकती है और सरकार की बाज़ार पर कड़ी नज़र है। अगर गेहूँ की कीमतें बढ़ती दिखाई देंगी, तो सरकार OMSS (Open Market Sale Scheme) तुरंत शुरू कर देगी। हालाँकि, फ़िलहाल बाज़ार कमज़ोर ही चल रहा है, इसलिए सरकार को OMSS स्कीम शुरू नहीं करनी पड़ेगी। बाकि व्यापार अपने विवेक से करे