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अगेती सरसों में इन किस्मों की करें बुवाई मिलेगा 20 से 25 क्विंटल तक उत्पादन, जानें सरसों की किस्में के बारे में जानकारी

Mustard Variety: हमारे देश भारत में सरसों की खेती काफी बड़ी मात्रा में की जाती है क्योंकि यह रबी में बोई जाने वाली मुख्य फसलों में से एक है। सरसों की खेती करना आसान और कम पानी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से किया जा सकता है। अन्य फसलों के मुकाबले इसमें रोग ज्यादा नहीं होता है।

भारत में सबसे ज्यादा सरसों उत्पादन राजस्थान हरियाणा गुजरात मध्य प्रदेश और अप के साथ-साथ गुजरात पंजाब के क्षेत्र में भी बोई जाती है। आज इस रिपोर्ट में हम जानेंगे सरसों की प्रमुख उन्नत किस्म जिससे कम लागत में अधिक पैदावार मिले।

सरसों की किस्में। सरसों की उन्नत किस्म। सरसों की अच्छी किस्म का चयन

सरसों की बुवाई सबसे उत्तम समय सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक माना जाता है अगर आप इससे बात सरसों के बुवाई करते हैं तो सही किस्म का चयन करना चाहिए।

सरसों की किस्में

राज विजय सरसों 2 सरसों किस्म : सरसों की इस किस्म की बुवाई यूपी एवं मध्य प्रदेश में करने के लिए उपयुक्त मानी गई है यह पकाने का समय करीब 120 से 130 का लेती है वही इसे यदि अक्टूबर के पहले सप्ताह में बुवाई की जाए तो इस किस्म में 20 से 25 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है इसमें तेल की मात्रा तकरीबन 40 फ़ीसदी तक होती है एवं बाजार भाव भी अच्छे मिलते हैं।

पूसा सरसों 28 सरसों किस्म :अच्छे उत्पादन हेतु यह किस्म भी काफी उपयुक्त मानी गई है इसकी बुवाई का उपयुक्त समय सितंबर माह माना गया है यह किस्म तकरीबन 20 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है एवं तेल की मात्रा इस किस्म में 42 फीसदी ओसत रहती है। यह पकाने में 110 से 115 दिन का समय लेती है इसका उत्पादन प्रमुख रूप से राजस्थान हरियाणा पंजाब दक्षिणी हिमालय आदि क्षेत्रों में उपयुक्त माना गया है।

सरसों 27 उन्नत किस्म : अगेती सरसों की किस्म में यह उपयुक्त मानी गई है क्योंकि यह पकाने में अधिक समय लेती है एवं तेल की मात्रा भी इसमें अधिक होती है यह पकाने में तकरीबन 130 से 140 दिन का समय लेती है एवं तेल की मात्रा तकरीबन 38 से 45 फ़ीसदी मिलता है यह उत्पादन में 18 से 20 क्विंटल पड़ती है कर देने के लिए उपयुक्त है।

पूसा महक सरसों किस्म: पूर्वी एवं उत्तर पूर्वी राज्यों हेतु उपयुक्त किस पूसा महक को माना गया है इसकी खेती प्रमुख रूप से असम बिहार छत्तीसगढ़ उड़ीसा झारखंड बंगाल में की जाती है एवं अच्छा उत्पादन भी दे सकती है उत्पादन के लिहाज से यह है 18 क्विंटल तक देती है एवं इसमें तेल की मात्रा 40 फ़ीसदी होती है इसे पकाने में 120 से 122 दिन का समय लगता है।

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