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भाव भविष्य 2023: उड़द मटर मुंग काबुली चना तुवर राजमा मसूर बाजरा चावल मक्की गेहूं लौंग आदि सभी की, तेजी मंदी रिपोर्ट

आज हम जानेंगे वर्तमान में चल रही सभी फसल का भाव भविष्य 2023 आइए जानें

कालीमिर्च और मंदे की गुंजाइश नहीं

वियतनाम में काली मिर्च के भाव ऊंचे हो गए हैं तथा वहां भी किसानी माल की आवक घट गई है, जिसके चलते आयात पड़ता महंगा हो गया है। इसके अलावा वहां से दूसरे देशों में जाने वाली काली मिर्च कम जा रही है तथा भारतीय काली मिर्च काफी नीचे आ गई है, जिससे यहां से निर्यात के अवसर भविष्य में दिखाई देने लगे हैं। फलत: कोचीन से उत्तर भारत की किसी भी मंडी के लिए पड़ता नहीं लग रहा है। यहां नीचे वाले भाव में ग्राहकी निकलने  लगी है। वहीं कोचीन में थोड़ा बाजार मजबूत बोलने लगे हैं। आज की तारीख में हल्की क्वालिटी की काली मिर्च 545 रुपए प्रति किलो कोचीन से यहां आकर पड़ रही है। बढ़िया क्वालिटी का माल 550/555 रुपए से कम में नहीं मिल रहा है।

सौंठ  उत्पादक मंडियों से पड़ते नहीं

इस बार विदेशों से आने वाले माल पड़ते में ऊंचे
बोल रहे हैं। यही कारण है कि आयात हल्के माल का आयात कम हुआ है। दूसरी ओर उत्पादन कम होने से शॉर्टेज की स्थिति बन गई है। सागर लाइन में सौंठ का स्टॉक बहुत कम बचा है तथा जो माल स्टॉक में पड़ा है, वह मजबूत हाथों में है, कुछ माल आगे के बिके हुए हैं। सौंठ की शॉर्टेज इस बार बनी हुई है, क्योंकि अदरक के ऊंचे भाव होने से पहले ही कच्चे माल ज्यादा बिक गए थे तथा जो हल्की क्वालिटी की गुवाहाटी लाइन से आती थी, वह इस पर नहीं आई है, क्योंकि वहां का माल आसपास की मंडियों में बिक गया था, अत: बाजार अभी तेज रहेगा।

काजू मार्च के बाद तेजी संभव

यद्यपि दक्षिण भारत के उत्पादक मंडियों में काजू की आपूर्ति कमजोर होने से यहां माल कम आ रहा है तथा जो व्यापार हो रहा है, वह ऊंचे पड़ते का हो रहा है, इन सब के बावजूद बाजारों में रुपए की तंगी होने तथा पहले के टुकड़े एवं साबुत 320 एवं 240 नंबर का माल बाजार में अधिक बचने से 180 नंबर वाले माल की बिक्री ठंडी पड़ गई है। हल्के माल काफी निपट चुके हैं तथा टुकड़ा माल भी कम है, इसे देखते हुए अप्रैल के प्रथम सप्ताह से बाजार चलने लगेगा।

जीरा मुझे भाव में व्यापार रिस्की

जीरे में सटोरियों तथा स्टार्किस्ट ओं की लगातार लिवाली बनी हुई है। आज भी पकड़ मजबूत होने तथा डिब्बा बाजार में तेजी से यहां 10 रुपए प्रति किलो की भारी तेजी आ गई है, इस बढ़े भाव में एक बार माल की बिकवाली करके मुनाफा ले जाना चाहिए। गौरतलब है कि जीरे का उत्पादन अधिक होने तथा ऊंचे भाव के स्टाक किए गए सटोरियों एवं कारोबारियों की बिकवाली आने से बाजार नए माल का प्रेशर बनने से पहले ही काफी टूट गए थे, उसके बाद स्टॉकिस्ट चौतरफा लिवाल आ गए। दूसरी ओर बेमौसमी बरसात होने से प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कच्छ एवं बनासकांठा लाइन में घट गई है, लेकिन अब अपना माल बेचना लाभदायक रहेगा।

लालमिर्च मुनाफावसूली बिकवाली भी करिए

लाल मिर्च का स्टाक काफी कम रह जाने से
आज भी 5 रुपए बढ़कर तेजा माल 260/265 रुपए प्रति किलो बक गया। फुल कट का व्यापार 315 रुपए का हो रहा है तथा आगे अभी और बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं। गुंटूर लाइन में आवक 70-72 हजार बोरी के करीब हुई वारंगल दुग्गीराला इदुकी लाइन में ऊंचे भाव होने से आवक बढ़ गई है। गौरतलब है कि कानपुर लखनऊ एवं इंदौर मंडी तेज चल रही है, जिससे वारंगल एवं दुग्गीराला लाइन का माल वहां जा रहा है। इसके अलावा लाल मिर्च के हल्के पत्ते का व्यापार झारखंड एवं उड़ीसा के लिए हो रहा है, इन परिस्थितियों में बाजार अभी और तेज रहेगा।

छोटी इलायची नीलामी केंद्रों पर फिर लिवाली घटी

छोटी इलायची की आवक पिछले 2 दिनों से नीलामी केंद्रों पर फिर से घट जाने से वहां समुधा माल 50/75 रुपए प्रति किलो घट गया, जिससे यहां 50/100 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है। यहां पिछले एक महीने के अंतराल लगातार मुनाफावसूली बिकवाली चल रही है, जिससे बाजार घटने लगे थे, अचानक मंडियों में आवक घर जाने से बाजार दोबारा बढ़ गए हैं तथा 100 रुपए की और तेजी लग रही है। जो छोटी इलायची 2300 रुपए तक रह गई थी, उसके भाव 2400 रुपए प्रति किलो बोलने लगे हैं। नीचे वाले माल भी 50 रुपए बढ़कर 1200/1250 रुपए पर बोलने लगे हैं तथा आने वाले माल इससे भी ऊंचा बिकने की खबर मिल रही है। अप्रैल के महीने में शादियां नहीं है, जिससे बहुत तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए तथा हर बढ़े भाव में एक बार मुनाफा ले जाना लाभदायक रहेगा।

लौंग  व्यापार में जोखिम नही

हालांकि इंडोनेशिया एवं मेडागास्कर में लौंग की फसल एक डेढ़ महीने बाद आने वाली है, लेकिन वहां की फसल इस बार कम बताई जा रही है क्योंकि बेमोसमी बरसात एवं जलवायु बदलने से उत्पादकता लौंग की काफी घट गई है। पुराना माल मंडियों में नहीं है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार तेज होने से ग्राहकी निकलते ही कभी भी बाजार 50 रुपए प्रति किलो बढ़ जाएगा। इस बार कोलंबो का माल बहुत कम आ रहा है, क्योंकि वहां से लोकल खपत के अलावा म्यांमार सहित आसपास के सीमावर्ती मंडियों में बिक रहा है। यही कारण है कि यहां बाजार मेडागास्कर का 810/820 रुपए प्रति किलो हो गया है। मेडागास्कर के भाव भी 800 / 810 रुपए बोलने लगे हैं। बढ़िया बढ़िया माल 850/860 रुपए बोल रहे हैं।

गेहूं

गेहूं की फसल पर मौसम के मार चौतरफा पड़ी है। एमपी यूपी में फसल तैयार होने को है, लेकिन लगातार बरसात एवं ओले से कहीं-कहीं फसलों को नुकसान होने की खबरें आ रही है। मध्य प्रदेश, पूर्वी एवं मध्य यूपी में मौसम गर्म होने लगा है, जिससे वहां गेहूं की कटाई तेजी से चल रही है। यही कारण है कि वहां के आसपास की मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ जाने से 2050/2100 रुपए प्रति क्विंटल भाव रह गए हैं। बिहार के बेगूसराय लाइन में भी 2075/2100 रुपए का व्यापार हो रहा है तथा आगे अब तेजी की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है। यहां भी नया गेहूं 2300/2350 रुपए भाव रह गए हैं जबकि इन भावों में भी बिक्री ठंडी पड़ गई है, आगे और मंदा लग रहा है।

मक्की

बरसात होने से मक्की का प्रेशर बनने में अभी समय बाकी है। दूसरी ओर जो मक्की एमपी-महाराष्ट्र की आती गई है, वह सब घटाकर बिकती गई है। दूसरी ओर स्टॉक में भी माल नहीं है। बड़े-बड़े गोदाम कारोबारियों ने खरीद किया था, लेकिन वह सब इस बार नहीं भर पाए हैं तथा खपत के लिए पूरा समय खरीफ सीजन की मक्की के लिए बाकी है, इसे देखते हुए जो मक्की 2550 रुपए में राजपुरा, पानीपत, सफीदों बिक रही है, इसमें 50 और बढ़ सकते हैं।

चावल

बासमती प्रजाति के सभी धान एवं चावल में आई रिकॉर्ड तेजी के बाद मुनाफावसूली बिकवाली कुछ दिन बाजार दबा रहा था, लेकिन कल निर्यात सौदे होने से निर्यातकों की चौतरफा लिवाली शुरू हो गई है, जिसके चलते बाजार सभी बासमती प्रजाति के चावल के 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गए हैं। इस समय 1718 सेला चावल 8000 रुपए बिक गया है। चावल 1509 का व्यापार 7800/7850 रुपए में हो गया है। इसी तरह 1121 धान एवं चावल में तेजी का रुख बना हुआ है तथा के बाजार में और बढ़ सकता है। इधर सासाराम लाइन में मोटे माल अधिक आ रहा है, मुगलसराय मिर्जापुर के आसपास की मंडियों में भी धान की बिकवाली बढ़ गई है, इन परिस्थितियों में मोटे चावल में भी तेजी का व्यापार अभी नहीं करना चाहिए।

बाजरा

बाजरे का उत्पादन गत वर्ष से अधिक होने के बावजूद पाइप लाइन में पुराना माल नहीं बचने तथा अन्य खाद्यान्नों में सबसे सस्ता विकने से इसमें चौतरफा स्टाकिस्टों की लिवाली बनी हुई है। यही कारण है कि मौली बरवाला पहुंच में 2290/2300 रुपए प्रति क्विंटल भाव हो गए हैं तथा बाजरा, मंडियों में भी 30/35 रुपए बढ़ाकर बोल रहे हैं। यहां गोदाम से उठू भी 2300 रुपए से कम में कोई बेचू नहीं है, इन परिस्थितियों में बाजरा में तेजी लिये ही कुछ दिन चलेगा।

चना समीक्षा

मौसम खराब होने से एमपी की मंडियों में देसी चने की आपूर्ति कम हो गई है। दूसरी ओर स्टॉक भी बाहरी ट्रेड के कारोबारियों के औने-पौने भाव में कट गए हैं, उसे देखते हुए अभी मंदा तो बिल्कुल नहीं है, लेकिन लंबी की उम्मीद अभी ठहर कर करना चाहिए। फिलहाल अभी चना 200 रुपए बढ़कर 50 रुपए सुस्त हो गया। कुछ दिन ठहर कर भविष्य में फिर देसी चना तेजी का रंग दिखा जाएगा। इस बार देसी चने की बिजाई एमपी एवं राजस्थान दोनों ही मुख्य उत्पादक राज्यों में कम हुई है। अतः वर्तमान 5325/5350 रुपए प्रति क्विंटल के चने में जोखिम नहीं है।

मसूर

नई फसल का दबाव मंडियों में ज्यादा नहीं बन रहा है, क्योंकि चौतरफा उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसमी बरसात हो रही है। दूसरी ओर कनाडा के माल वर्तमान भाव से नीचे पड़ते के नहीं मिल रहे हैं, इन परिस्थितियों को देखते हैं, जो बिल्टी में मसूर 6200/6225 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है, इसमें ज्यादा घटने की गुंजाइश नहीं है। यहां 6100 रुपए के आसपास बिक रही है, थोड़ा डस्ट वाला माल 6025 रुपए बोल रहे हैं। मंडियो में ज्यादा स्टाक नहीं बन पा रहा है। दाल मिलों में भी स्टाक नहीं है। ग्राहकी के निकलने पर बाजार यहां से और बढ़ सकता है।

तुवर

तुवर की घरेलू फसल की बिजाई रकवा में वृद्धि नहीं हुई है, जो नया माल आ रहा है, वहां की लोकल दाल मिलें खरीद रही है। गर्मी वाली तुवर भी ज्यादा नहीं आएगी, क्योंकि उसकी बिजाई सिमटती जा रही है, इसलिए लेमन तुवर के ऊपर ही व्यापार निर्भर है। फिलहाल अभी चेन्नई वाले वर्तमान भाव पर बिकवाल हैं, इसलिए निकट में तेजी अभी और तेजी लग रही है अभी हाल ही में इसमें 300 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आ गई है, जिससे 50 रुपए का करेक्शन आ गया है, लेकिन बाजार फिर छलांग लगाकर 9000 रुपए प्रति क्विंटल बन सकती है। पाइप लाइन में माल नहीं है। आयात पड़ता महंगा है तथा वर्मा से शिपमेंट में भी विलंब है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए व्यापार करते रहना चाहिए।

राजमा

राजमां चित्रा में पिछले दिनों की आई भारी गिरावट के चलते आयातकों ने सौदे कम किये हैं, जिससे मुंबई-दिल्ली दोनों ही प्रमुख मंडियों में माल कम उतर रहे हैं। यही कारण है कि बाजार नीचे के भाव से बढ़ गया है। मुंबई में बढ़िया राजमां चित्रा ब्राजील का 115/117 रुपए प्रति किलो बोल रहे हैं। हल्के माल क्वालिटी अनुसार 111/113 रुपए भी बिक रहे हैं। यहां उन मालों के भाव 115/120 रुपए का व्यापार हो रहा है। चाइना घटाकर बेचू नहीं आ रहा है। पुणे, सतारा, वाई लाइन का माल पैकिंग निर्माता वहीं खरीद चुके हैं, इन परिस्थितियों मे बढ़िया माल यहां मजबूत रहेगा।

काबुली चना

काबुली चने में पिछले 3 दिनों से महाराष्ट्र मध्य प्रदेश बरसात होने से बाजार बढ़ा हुआ है। महाराष्ट्र के सावदा मंडी में काबुली चने की आवक कम हो गई है। मध्यप्रदेश में भी काबली चने की फसल तैयार हो गई है, लेकिन मौसम की मार से आवक घट गई है। कर्नाटक में कटाई बरसात से रुक गई है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए हर तरह के काबली चने की लिवाली करते रहना चाहिए तथा अभी कुछ दिन मंदे का समय नहीं है।

मूंग

वर्तमान में आंध्र प्रदेश की मूंग 3-4 ट्रक दैनिक आ रही है, इसके अलावा केवल राजस्थान से मूंग आ रही है। टेंडर वाली मूंग नरेला लॉरेंस रोड सहित अधिकतर मंडियों में आई थी, लेकिन वह माल निबट गया। पीछे लोकल दाल मिलें ही खरीद कर चुकी हैं। यहां राजस्थान का बढ़िया माल 9000/9200 रुपए प्रति क्विंटल तक बोलने लगे हैं, जो खाटू जी लाइन का माल भी 9100/9200 रुपए बिक रहा था। नीचे वाले माल 7800/8300 रुपए से कम में बेचू नहीं हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए वर्तमान भाव के मूंग बढ़िया और तेज हो जाएगी।

मटर

इस बार वर्तमान भाव पर व्यापार लाभदायक रहेगा, क्योंकि पुराने माल धीरे-धीरे कटने लगे हैं तथा सब्जियों में मटर अधिक बिकी है। इस किसानों को ऊंचे भाव मिले हैं, इन परिस्थितियों में अभी से कुछ कारोबारी माल खरीदने लगे हैं, जिससे नीचे के भाव से 150/200 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़त झांसी लाइन में हो गई है। ललितपुर में भी कुछ बढ़ाकर बोलने लगे हैं। हम मानते हैं कि आवक बढ़ने लगी है, लेकिन माल की उपलब्धि गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में कम है, इसलिए इस बार व्यापार में जोखिम नहीं लग रहा है।

उड़द

उड़द में चौतरफा शॉर्टेज की स्थिति बन गई है। चेन्नई में कोई निकट भविष्य में माल उतरने वाला नहीं है तथा वहां स्टाक भी ज्यादा नहीं है, जिससे बाजार पिछले 5-6 दिनों के अंतराल काफी बढ़ गए थे। यहां 8250 रुपए की उड़द एसक्यू 8700 रुपए बिक गई है। उड़द की जड़ में मंदा नहीं है, क्योंकि निकट भविष्य में कोई माल आने वाला नहीं है तथा दाल मिलें भी धोया तथा छिलका के भाव बढ़ा कर बोलने लगी है। इधर आगे रमजान में उड़द की खपत और अधिक रहेगी, अतः मंदे का व्यापार नहीं करना चाहिए।

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नोट:-व्यापार अपने विवेक से करें । हमारा काम किसानों तक सही जानकारी पहुंचाना है। किसी भी फसल में तेजी आ मंदी आने वाली परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। किसी भी लाभ या होनी होने पर सुपर मंडी भाव जिम्मेवार नहीं है।

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