पिछले हफ्ते काबुली चना अंतराल में 5 से 6 प्रति किलो की तेजी देखने को मिली है जिससे मुनाफावसूली बिकवाली के चलते व्यापर में एक बार ठहराव आ गया है। इस बार उत्पादन अधिक होने की संभावना को देखते हुए कारोबारियों ने अपने उन्हें अपने भाव में अपना माल निकाल दिया।
काबुली चना का उत्पादन
काबुली चने का उत्पादन अनुमान 20 लाख मीट्रिक टन का लगाया गया था, जो गत वर्ष 15 लाख मैट्रिक टन से अधिक है, लेकिन फसल में पोल से चालू सीजन में उत्पादन अनुमान 18 लाख मैट्रिक टन ही रह गया है। तथा जो पुराना स्टाक तीन लाख मैट्रिक टन बचता था, वह इस बार जीरो रहा है।
जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में माल में कमी देखने को मिल रही है उधर इंदौर भोपाल लाइन में मोटा माल ज्यादातर निर्यात में जा रहा है। हाल-फिलहाल नई फसल माल मंडियों में ज्यादा स्टॉक नहीं बन पाया। जो भी माल आ रहा है वह बिकता जा रहा है क्योंकि पुराना स्टॉक नहीं है।
पंजाब जम्मू कश्मीर हरियाणा हिमाचल आदि की मंडियों में कारोबारियों ने मंदी की धारणा से अपना माल नहीं खरीदा किसानों को नीचे भाव मिलने से लगातार मंडी में माल अपना निकालते गए हैं।
पिछले दिनों सीरिया तुर्की सूडान में आए भूकंप तबाही से वहां की काबुली चना व अन्य फसलें भी नष्ट हो गई है
इन सारी परिस्थितियों में काबुली चने का बाजार रुक-रुक कर तेज ही रहने वाला है। शादियों की खपत को देखते हुए बाजार धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। मोटे माल का स्टॉक ज्यादा नहीं है, कर्नाटक में ऊंचे भाव चल रहे हैं, क्योंकि वहां से निर्यातक लगातार माल खरीद रहे हैं। जिस कारण वहां से माल यहां कम आ रहा है। मोटे मालों में भी 5/6 रुपए का इजाफा हो गया तथा 10 रुपए प्रति किलो की थोड़ा ठहर कर फिर तेजी लग रही है। डबरा लाइन में कोई माल स्टॉक में नहीं है।
इंदौर-भोपाल लाइन भी खाली चल रही है। हम मानते हैं कि काबली चने की बिजाई अधिक हुई है, लेकिन नई फसल पूरी तरह प्रेशर में अभी तक किसी मंडी में नहीं रहा है।इसलिए माल की कमी से बाजार टूटने नहीं देगा। उधर विदेशों से किसी भी माल के पड़ते नहीं है। कनाडा अस्ट्रेलिया में पहले ही भाव ऊंचे चल रहे हैं, यूक्रेन की स्थिति खराब चल रही है, जिससे मीडियम माल वहां से आना बंद हो गया है।
वास्तविकता यह है कि कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ मंडी में काबुली चने का स्टाक नहीं है । इधर अमृतसर, लुधियाना मंडी भी खाली चल रही है। इसलिए वर्तमान भाव पर खरीद करते रहना चाहिए। दिल्ली मंडी में भी इस बारिश से 22 प्रतिशत स्टाक कम बचा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि काबुली चने की बिजाई एमपी महाराष्ट्र दोनों ही प्रमुख राज्यों में अधिक हुई थी, लेकिन फसल उस अनुरूप नहीं उतर पाई है। व्यापार अपने विवेक से करें।
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