भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां सबसे अधिक धान की खेती की जाती है। फसलों की खेती मौसम के हिसाब से की जाती है ऐसे में सभी फसल की बुआई के बाद कटाई तक का समय निर्धारित होता है। अब की बात करें तो किसानों ने गेहूं की कटाई का कार्य लगभग पूरा कर लिया है और धान की खेती (हाइब्रिड वैरायटी) के लिए तैयारी शुरू करने वाले हैं।
ऐसे में किसान अच्छी गुणवत्ता के लिए उन्नत वैरायटी का चयन करते हैं ताकि उपज सही रहे। ज्यादा उपज के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम किस तरह के बीजों का चुनाव करें। समय के साथ उपज बढ़ाने के लिए कई संकर वैरायटी (Hybrid varieties) विकसित की गई हैं जिसकी सहायता से किसान आराम से ज्यादा पैदावार का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं उन हाइब्रिड वैरायटी के बारे में पूरी जानकारी
हाइब्रिड बीज क्या होता है ।(हाइब्रिड वैरायटी)
एग्रोनोमी साइंटिस्ट डॉ. राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया हैं कि एक ही पौधे की 2 या 2 से ज्यादा वैरायटी के परागकणों (pollen grains) को मिलाकर या नियंत्रित पोलीनेशन कराकर जो बीज तैयार किया जाता हैं, उसे ही संकर बीज या हाइब्रिड बीज कहा जाता है। बीजों को तैयार करते समय एक वैरायटी के नर फूलों के पराग (Pollen) को लेकर दूसरी वैरायटी के मादा फूल (Female Flower) में ट्रांसफर किया जाता है। इससे मादा फूल परागित (Pollinated) हो जाता है। मादा फूल के परागित होने पर, फल बनने का कार्य चालू हो जाता है जो बीज इस फल के अन्दर पैदा होते हैं, उसे ही संकर व हाइब्रिड बीज कहा जाता है। इन बीजों में मूल पौधों के गुण पाए जाते हैं यह बीज मूल पौधे के मुकाबले में ज्यादा पैदावार देते हैं और इनकी रोग व कीटों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है।
धान की हाइब्रिड वैरायटी
APHR -1 , PA-6201, नरेंद्र शंकर धन- 2। धान की इस वैरायटी को ज्यादा पैदावार और अच्छी गुणवत्ता देने के लिए तैयार किया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इनकी खासियत।
एपीएचएआर-1 धान की किस्म (APHR-1)
APHR-1 यह धान (चावल) की एक अच्छे पैदा और रोग प्रतिरोधी वैरायटी है जिसको चावल अनुसंधान संस्थान आंध्र प्रदेश द्वारा तैयार किया गया है। इस किस्म को चावल दो अलग-अलग मूल वैरायटी को संकरण करके संकरण की विधि के माध्यम से तैयार किया गया था ।
APHR-1 यह वैरायटी अपनी ज्यादा पैदावार क्षमता के लिए जानी जाती है, जिसकी औसत पैदावार करीब 6 से 7 टन प्रति हेक्टेयर है। यह कई सामान्य बीमारियों के लिए प्रतिरोधी है जोकी चावल की फसलों को नष्ट कर सकती हैं, जैसे कि ब्लास्ट और बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट।
PA-6201 यह भारत के लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तैयार धान (चावल) की एक अच्छे पैदावार व रोग प्रतिरोधी वैरायटी है। इस वैरायटी को चावल दो अलग-अलग मुख्य किस्मों को संकरण करके संकरण की प्रक्रिया के तहत से तैयार किया गया था।
PA-6201 को पंजाब और भारत के अन्य क्षेत्रों में किसानों द्वारा अपनाया गया है, और इसने क्षेत्र में चावल की उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी में योगदान दिया है. चावल की नई और अच्छी वैरायटी का विकास, जैसे PA-6201, भोजन की बढ़ती मांगों को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन और अन्य चुनौतियों का सामना करने में कृषि की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए खास है।
नरेंद्र संकर धान-2 धान की वैरायटी (NSD Paddy variety)
नरेंद्र संकर धान-2 (एनएसडी-2) भारत के उत्तर प्रदेश में नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा तैयार धान (चावल) की एक अच्छे पैदावार और रोग प्रतिरोधी वैरायटी है। इस वैरायटी के चावल को दो अलग-अलग मूल किस्मों को संकरण करके संकरण की प्रक्रिया के माध्यम से तैयार किया गया है
NSD-2 यह वैरायटी अपनी ज्यादा पैदावार क्षमता के लिए जानी जाती है, जिसकी औसत पैदावार करीब 8 से 10 टन प्रति हेक्टेयर है। यह कई सामान्य बीमारियों के लिए भी प्रतिरोधी है जो चावल की फसलों को नष्ट कर सकती हैं, जैसे कि ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट व बैक्टिरियल लीफ ब्लाइट।
NSD-2 को उत्तर प्रदेश और भारत के अन्य क्षेत्रों में किसानों ने व्यापक रूप से अपनाया है, और इसने क्षेत्र में चावल की उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा में अच्छी खासी बढ़ोतरी में योगदान दिया है। चावल की नई और अच्छी वैरायटी का विकास, जैसे एनएसडी-2, भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने और जलवायु परिवर्तन और अन्य चुनौतियों के सामने कृषि की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
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