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Profitable Farming: गेहूं और सरसों की कटाई के बाद लगाएं यह फसल, लाखों रुपए की होगी कमाई,सरकार ने बढ़ाए भाव 

Profitable Farming : नमस्कार किसान भाइयों,आज हम आपको इसी खेती के बारे में जानकारी देंगे जिससे आप अच्छी कमाई कर सकते हैं यह खेती जूट की है सरकार ने जूट की खेती को बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी कर दी है. आपको बता दें कि सरसों व गेहूं की कटाई होने के पश्चात आप मार्च से लेकर अप्रैल महीने में जूट की फसल उगा सकते है. ऐसे में किसान चाहें तो खरीफ सीजन से पहले अच्छा लाभ लेने के लिए जूट फसल की बुआई कर सकते हैं

Profitable Farming : अब जूट की खेती को बढ़ाने और किसानों को अच्छी कीमत दिलाने के लिए सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है. आपको बता दें कि सरसों व गेहूं की कटाई के पश्चात मार्च से लेकर अप्रैल महीने के बीच मेंं जूट की फसल लगाई जा सकती है. ऐसे में किसान चाहें तो खरीफ सीजन से पहले जूट की फसल की बुआई कर अच्छी कमाई कर सकते हैं

Profitable Farming : भारत के यह राज्य जूट की खेती में अग्रणीय त्रिपुरा, ओडिशा, पश्चिमी बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, बिहार और मेघालय प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों की लिस्ट में शामिल हैं, जहां 83 से ज्यादा जिलों में मुख्य फसल में जूट की खेती पाईं जाती है।

किसान भाइयों को धान व गेहूं जैसी पारंपरिक फसले बोने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। इसी उद्देश्य से भारत सरकार अन्य नकदी फसलों को कई तरीकों से बढ़ावा दे रही है। कई राज्यों में बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन एक फसल ऐसी है जो पूर्वी भारत में बड़ी मात्रा पर उगाई जाती है। हम बात कर रहे हैं जूट की। जूट बीते कुछ सालों में सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक रेशों के रूप में उभरा है। वातावरण के अनुकूल उत्पादों में जूट का उपयोग बढ़ रहा है। अब सरकार ने जूट की खेती बढ़ाने और किसानों को अच्छी कीमत दिलाने के लिए जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ोतरी की है। हम आपको बताते हैं कि गेहूं और सरसों की कटाई के पश्चात मार्च से लेकर अप्रैल महीने के बीच ही जूट की बिजाई की जाती है. ऐसे में किसान चाहें तो खरीफ सीजन से पहले जूट की खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

क्या है जूट ?

जूट एक नकदी फसल है। जूट मुलायम ,लंबो और चमकदार पेड़ होता है। मोटे धागे या धागे बनाने के लिए इसका रेशे एकत्र किए जाते हैं। इसका इस्तेमाल बैग, बोर , पर्दे, कालीन , सजावटी सामान, और पैकिंग बनाने के लिए किया जाता है।

यह सिंचाई वाले क्षेत्रों की फसल है। जूट विशेष रूप से 150 cm या उससे ज्यादा वर्षा वाले इलाकों में तेजी से बढ़ता है। जूट के पेड़ से गूदा निकाला जाता है। यह कागज और कुर्सियां बनाने के काम में लिया जा सकता हैं।

सरकार द्वारा बढ़ाई गई जूट की एम एस पी

पिछले दिनों में ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में मार्केटिंग सीजन-2023-24 के लिए कच्चे जूट के MSP में 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। अभी तक कच्चा जूट न्यूनतम समर्थन रेट 4750 रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदा जा रहा है।

लेकिन मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए कच्चे जूट का न्यूनतम समर्थन रेट 300 रुपए से बढ़ाकर 5050 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले से देश के 40 लाख से अधिक किसानों को सीधा लाभ होगा।

इन प्रदेशों में जूट की खेती होती है

कुछ विशेष फसलें देश की मिट्टी और जलवायु के मुताबिक उगाई जाती हैं। इन फसलों में जूट भी शामिल है। पूर्वी भारत में किसान बड़ी मात्रा पर जूट की खेती करते रहे हैं। त्रिपुरा, उड़ीसा, बिहार, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश ,मेघालय और असम प्रमुख जूट उत्पादक राज्यों की लिस्ट में शामिल हैं, जहां 83 से ज्यादा जिले जूट को मुख्य फसल के रूप में लगाते हैं।

भारत सबसे बड़ा उत्पादक देश है

आप यह जानकर हैरान होंगे, परंतु दुनिया में जूट का 50% से अधिक उत्पादन भारत में होता है. इस 50 प्रतिशत का आधा उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता है. इस सूची में चीन , थाईलैंड और बंगाल देश का नाम भी शामिल है. कृषि क्षेत्र को जूट की खेती से मजबूती मिल ही रही है, लेकिन जूट का सबसे अधिक प्रयोग भी एग्रीकल्चर कार्यों में ही होता है.

इससे थैला, बोरी, बैग,टोकरी जैसी कई चीजें बनाई जाती हैं. अनाज की पैकिंग में प्रयोग होने वाली अधिक बोरियां जूट से ही बनी होती हैं. इसी लिए भारत और राज्य सरकारें किसान से कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत जूट की खरीद कर लेती हैं।

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