सरसों, सोयाबीन, गेहूं, मूंग, मोठ, जीरा, मक्का, मटर, उड़द चना, सौंठ, बाजरा, पिस्ता, कालीमिर्च, चावल दैनिक तेजी मंदी रिपोर्ट
दैनिक तेजी मंदी रिपोर्ट
छोटी इलायची तेजी नहीं
29 जनवरी नीलामियों में आवक में होती जा रही वृद्धि तथा कीमत सामान्य से ऊंची बनी होने के कारण छोटी इलायची की बिक्री प्रभावित हो रही है। इसके विपरीत यहां लिवाली बढ़ने से छोटी इलायची साढ़े सात एमएम 50 रुपए तेज होकर 3350 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई। हाल ही में इसमें इतनी ही मंदी आई थी। स्पाईस मोर ट्रेडिंग कम्पनी, कुमिली नीलामी में छोटी इलायची की आवक घटकर 70,842 किलोग्राम की होने की जानकारी मिली। आवक तुलनात्मक रूप से ऊंची होने तथा लिवाली कमजोर पड़ने से इसकी औसत नीलामी कीमत गिरकर 2987.77 रुपए प्रति किलोग्राम रह जाने की सूचना मिली। इससे पूर्व 7 जनवरी को हुई इस नीलामी में यह कीमत 3169.30 रुपए थी। आवक में हो रही वृद्धि से बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में छोटी इलायची में तेजी की आशा नहीं है।
लालमिर्च : तेजी की उम्मीद नहीं
29 जनवरी नई फसल चालू होने के कारण गुंटूर में लालमिर्च की आवक का दबाव बना हुआ है। वहां पर नई एवं पुरानी फसल की कुल करीब 70-75 हजार बोरियों की आवक होने तथा कीमत बीते दिन के स्तर पर ही बनी होने की जानकारी मिली। यहां भी घटी कीमत पर लिवाली सुस्त ही बनी होने से 334 नंबर लालमिर्च 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल के पूर्वस्तर पर ही जमी रही। हाल ही में इसमें 4 हजार रुपए की गिरावट आई थी। नई फसल की वजह से बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में लालमिर्च में तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है।
सौंठ: सुस्ती बनी रहेगी
29 जनवरी ठंड़ के मौसम में अक्सर सौंठ क बिक्री बढ़ जाती है लेकिन इस बार अभी तक ऐसा होता नजर नहीं आया। इसके परिणामस्वरूप यहां सौंठ सामान्य 26 हजार रुपए प्रति किलोग्राम के पूर्वबंद स्तर पर ही अपरिवर्तित बनी रही। हाल ही में इसमें 2 हजार रुपए की गिरावट आई थी। कोच्चि में इसकी आवक तथा कीमत एक दिन पूर्व के स्तर पर ही होने की सूचना मिली थी। नए मालों की वजह से बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में सौंठ सुस्ती बनी रहने की संभावना है।
कालीमिर्च : मजबूती जारी रहेगी
29 जनवरी केरल में कालीमिर्च की नई फसल शुरू हुए करीब एक महीना बीत चुका है लेकिन राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़कर कोच्चि जैसी बड़ी मंड़ियों में इसकी आवक नगण्य ही बनी हुई है। इसीलिए कोच्चि में कालीमिर्च की कीमत मजबूत ही बनी होने की जानकारी मिली। यहां भी कालीमिर्च मरकरा 715 रुपए प्रति किलोग्राम के पूर्वस्तर पर ही मजबूती से रुकी रही। हाल ही में इसमें 10 रुपए की तेजी आई थी। इस वर्ष उत्पादन में कमी के पूर्वानुमानों से बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। आगामी एक-दो दिनों में हाजिर में कालमिर्च में मजबूती जारी रहने का अनुमान है।
जीरा : तेजी की उम्मीद नहीं
29 जनवरी गुजरात के किसान धीरे-धीरे करके अपनी जीरा फसल की बिक्री बढ़ाने लगे हैं। यही वजह है कि ऊंझा में इसकी आवक बढ़कर करीब 8-10 हजार बोरियों की होने तथा 100-140 रुपए प्रति 20 किलोग्राम की गिरावट आने की जानकारी मिली। यहां भी घटी कीमत पर लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य 24,500 रुपए प्रति क्विंटल के पूर्वस्तर पर ही डटा रहा। हाल ही में इसमें 300 रुपए की मंदी आई थी। वायदा में सटोरियों की लिवाली कमजोर पड़ने से सक्रिय वायदा 465 रुपए या 2.09 प्रतिशत टूटकर 21,760 रुपए पर आ गया। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में जीरा बढ़ने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
पिस्ता : सुस्ती जारी रहने की आस
29 जनवरी घटी कीमत पर भी पिस्ते की बिक्री सुस्त ही बनी हुई है। इसके फलस्वरूप यहां पिस्ता पेशावरी 2650 रुपए प्रति किलोग्राम के पूर्वस्तर पर ही जमा रहा। हाल ही में इसमें 100 रुपए की मंदी आई थी। मौसम ठंड़ा ही बना होने तथा व्याह-शादियों के साए कम होने के कारण बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। आगामी एक-दो दिनों में हाजिर में पिस्ता सुस्त ही बना रहने के आसारा हैं।
गेहूं-सरकार ने क्वांटिटी बढ़ाई
29 जनवरी सरकार द्वारा आज देश में डेढ टन से बढ़ाकर 5 लाख टन साप्ताहिक बिक्री की घोषणा किए जाने के बाद 80 रुपए टूटकर गेहूं के भाव 3190/3200 रुपए प्रति क्विंटल रह गये। नया गेहूं आने में अभी काफी समय बाकी है। लेकिन सरकार द्वारा बिक्री नीति बदलने अभी बाजार और घट सकता है। आटा, मैंदा, सूजी एवं चोकर में भी मंदा आ जायेगा। गौरतलब है कि सरकार द्वारा यह कदम पहले ही उठाया जाना चाहिए था। लेकिन सरकार ने यह कदम देर से उठाया। अब यहां से स्टॉक का माल बेचना चाहिए अन्यथा गले में फंस जायेगा।
बाजरा फिर मंदे को विराम
29 जनवरी बाजरे में भी चालू सप्ताह के अंतर्गत भारी गिरावट आ गई है, क्योंकि मकई के भाव टूटने एवं चावल 2250 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में एथेनॉल कंपनियों को बेचे जाने से मकई की लिवाली घट गई है। दूसरी ओर उत्पादक मंडियों में बाजरा घटने के बाद स्टॉक तेजी से निकलने लगे हैं, जो अगले चार-पांच दिन तक बाजार को दबाए रखेंगे, लेकिन जैसे ही उनका माल कट जाएगा, आगे चलकर बाजरा फिर तेज हो जाए। अतः बाजरे में एक परसेंट घबराने की जरूरत नहीं है।
मक्की कुछ दिन दबी रहेगी
29 जनवरी इथेनॉल कंपनियों को सस्ते भाव में चावल की बिक्री सरकार द्वारा किए जाने से मकई के व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव जरूर पड़ा है, लेकिन मई से पहले कोई मक्की आने वाली नहीं है तथा इस बार मौसम प्रतिकूल होने से मक्की का ग्रोथ कम रहने वाला है, इसलिए बिहार की फसल भी कम आएगी। परिणाम स्वरूप वर्तमान भाव की मक्की में आगे चलकर फिर लाभ मिलेगा। वर्तमान की सस्ती मक्की को घबराकर नहीं काटना चाहिए। मध्य प्रदेश राजस्थान की मंडियों में 130/150 घटकर 2250 2325 रुपए प्रति कुंतल के बीच रैक प्वाइंट पर भाव बोल रहे हैं, जो नीचे वाले हैं हरियाणा
पंजाब पहुंच में भी 2600 रुपए से नीचे मक्की नहीं जाएगी।
चावल-मोटे में बढ़त और रहेगी
29 जनवरी हम मानते हैं कि सरकार द्वारा जो 2250 रुपए प्रति क्विंटल में मोटे चावल की बिकवाली 25 लाख टन किए जाने की घोषणा की गई है, लेकिन यह सब माल एथेनॉल कंपनियों को दिया जाएगा, जिसमें 110 लाख लीटर एथेनॉल बनाना है। दूसरी ओर खाड़ी के देशों में मोटे चावल का निर्यात बराबर हो रहा है, बांग्लादेश एवं नेपाल में भी माल की कमी है, इसे देखते हुए मोटे चावल में व्यापार करते रहना चाहिए, इसमें मंदे की गुंजाइश नहीं है। दूसरी ओर बासमती प्रजाति के चावल में भी अब मंदे का तंत निकल चुका है तथा व्यापार में आने वाले समय में लाभ मिलेगा।
मटर-घरेलू उत्पादन काफी कम
29 जनवरी इस बार यूपी के ललितपुर झांसी लाइन में मटर का उत्पादन 50 रह जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। गौरतलब है कि डेढ़ वर्ष से मटर में भारी मंदा रहने से किसानों द्वारा पिछली बजाई भी कम किया गया था तथा इस बार तो अधिकतर किसान, मटर के नीचे भाव होने से सब्जियों में मटर की फली बेचकर उस खेतों में गेहूं की बिजाई कर चुके हैं। अतः वर्तमान भाव में भारतीय बंदरगाहों पर एवं दिल्ली सहित अन्य मंडियों में जो भी भाव चल रहे हैं, इन भाव में घटने की गुंजाइश नहीं है तथा आगे चलकर व्यापार भरपूर लाभदे जाएगा।
काबुली चना-तेजी का व्यापार नहीं
29 जनवरी काबुली चने की फसल आंध्र प्रदेश कर्नाटक की मंडियों में छिटपुट आने लगी है। मध्य प्रदेश की मंडियों में भी 15 दिन बाद आने लगेगी। इसकी बिजाई चौतरफा अधिक हुई है तथा फसल भी अब तक अनुकूल रही है। हम मानते हैं कि समय पूर्व गर्मी बढ़ जाने से कुछ तैयार माल प्रभावित हो सकता है, लेकिन फसल जल्दी आ जाएगी। उधर पुराना स्टॉक ज्यादा बचा है। इसलिए वर्तमान भाव पर व्यापार करते रहना चाहिए। इस समय महाराष्ट्र के काबुली चने के भाव 80/81 रुपए बिना छने हुए के चल रहे हैं।
उड़द-अब बढ़त की उम्मीद
29 जनवरी उडद में पिछले एक पखवाड़े से लगातार सटोरियों की बिकवाली चल रही है, चेन्नई में बैठे सटोरिये काफी माल बेच दिए थे, उनकी डिलीवरी के लिए बाजार को लगातार घटाकर घटाते गए। जिस कारण यहां भी एसक्यू 8100 एवं एफ ए क्यू 7500 रुपए नीचे में बनने के बाद कल ग्राहकी निकलते ही 100 रुपए प्रति कुंतल की चाल आ गयी। अभी पाइप लाइन में माल नहीं है तथा नीचे भाव में दाल मिलों की पकड़ मजबूत बन गई है, जिससे 200 रुपए छोटे-मोटे माल में और बढ़त बन सकती है।
सरसों तेल: मंदे के आसार कम
29 जनवरी हरियाणा व राजस्थान की मंडियों के मंदे समाचार आने एवं मांग कमजोर होने से सरसों तेल के भाव 12850 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए। टीनो में इसके भाव 2200/2450 रूपए पर मजबूत रहे। हरियाणा की मंडियों में इसके भाव 12700 रुपए प्रति कुंतल बोले गए। बिकवाली कमजोर होने से जयपुर मंडी में सरसों तेल कच्ची घानी के भाव 12800 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए। हाल ही में आई गिरावट को देखते हुए भविष्य में इसमें और मंदे की संभावना नहीं है।
मसूर-तेजी का समय नहीं
29 जनवरी मसूर की नई फसल 20 दिन बाद मध्य प्रदेश की मंडियों में आने लगेगी, इधर कनाडा के माल लगातार मुंदड़ा पोर्ट से घटाकर बिकवाल आने लगे हैं, जिससे बाजार चालू सप्ताह में घट गया है तथा इसी लाइन पर 50/75 रुपए और घटने की संभावना बन गई है। यहां बिल्टी में मसूर जो 6400 बिक रही है, यह 6350 रुपए से नीचे अभी नहीं आएगी तथा कनाडा के माल भी 5900 रुपए पर आकर अब रुक जाएंगे, लेकिन तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए, बल्कि माल बेचते रहना चाहिए।
मूंग-अभी कुछ दिन तेजी नहीं
29 जनवरी मूंग में पिछले 20-22 दिनों के अंतराल आई भारी तेजी के बाद मुनाफा वसूली बिकवाली चलने तथा दाल मिलों की मांग पूरी तरह ठंडी पड़ जाने से बाजार घटकर 7700/8100 रुपए प्रति कुंतल राजस्थान के माल के रह गए हैं। हल्के माल 6700/7000 के आसपास चल रहे हैं, अभी इन भाव में दाल मिलों की मांग काफी कमजोर चल रही है, क्योंकि उनके गले में ऊंचे भाव के कच्चे माल फंसे हुए हैं, जबकि दाल छिलका एवं धोया की बिक्री अनुकूल नहीं है। अतः पक्के माल बिकने के बाद ही बाजार फिर बढ़ेंगे। इसलिए एक सप्ताह अभी सुस्ती लग रही है।
Note:- व्यापार अपने विवेक से करें। किसी भी फसल में तेजी या फिर मंदी आने वाले मौसम, डिमांड, सरकार के निर्णय पर निर्भर करती है। किसी भी तरह का व्यापार अपने विवेक से करें और हानि के लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। भाव की पुष्टि अवश्य करें।