पिछले कई दिनों से मौसम में कोहरा छाया रहा और उत्तर भारत में पिछले दो-तीन दिन से आसमान में बादल देखने को मिल रहे हैं। बता दें कि हरियाणा के फतेहाबाद जिले में कल यानी शनिवार को मौसम साफ देखने को मिला हालांकि धूप थोड़ी बहुत देखने को मिली बाद में आसमान में बादल छाए रहे। वहीं रात के समय में हल्की बूंदाबांदी देखने को मिली।
बीते दिनों से लगातार मौसम में आ रहे बदलाव के चलते सरसों की फसल में सफेद रतुआ बीमारी का अटैक देखने को मिल रहा है। स्थानीय किसानों की माने तो लगातार सर्दी के मौसम में कई दिनों से सूर्य की धूप न निकलने के चलते सरसों के पौधों पर उसके पानी से नमी बनी रहती है और सुख नहीं पाता जिसके चलते सफेद रतुआ की बीमारी का अटैक देखने को मिलता है। जिसे अंग्रेजी में व्हाइट रस्ट भी कहा जाता है।
सरसों की फसल में यह बीमारी फंगस के चलते लगता है। बता दें कि इसके लक्षणों की बात करें तो शुरुआती दौर में पत्तों में नजर आता है और पत्तों के नीचे सफेद रंग के धब्बे देखने को मिलते हैं जो कि बाद में सफेद पाउडर जैसा बन जाता है। सरसों की लेट बुवाई वाले स्थान पर यह बीमारी ज्यादातर देखने को मिलती है।
सरसों की फसल में सफेद रतुआ
बता दे के सरसों की फसल में इस बीमारी को लेकर स्थानीय किसानों की जानकारी के मुताबिक यह बीमारी जैसे-जैसे अधिक होगा पत्तों से बढ़कर तना की ओर पहुंच जाता है। जिसके चलते सरसों की फसल में काफी नुकसान होने का खतरा बना रहता है। इसके बाद यह रोग सरसों की फसल में फलियां में पहुंचने के बाद दाना पूरी तरह से नहीं बन पाता।
कृषि विकास अधिकारी भट्टू खंड के डॉक्टर बहादर सिंह ने बताया कि सरसों की फसल में अधिकतर सफेद रतुआ हवा नहीं लगने के चलते होता है। सरसों की फसल में सफेद रतुआ पर किसानों को प्रति एकड़ मेन्कोजैब 600 ग्राम 250 से लेकर 300 लीटर पानी 15 दिन में 3 से 4 बार छिड़काव स्प्रे के द्वारा करें।
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