इस समय राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुवर की मांग को लेकर जो हालात चल रहे हैं(तुवर की बढ़ती कीमत)। उसे देखते हुए आने वाले समय में तोहर की आपूर्ति उपलब्धता में कोई खास सुधार नहीं होगा, और ना ही इन कीमतों में ज्यादा गिरावट आएगी।
भारत में तुवर का आयात मयांमार और अफ्रीकी देशों से होता है लेकिन फिलहाल कुछ खास करना से आयात की गति धीमी चल रही है। तुवर का स्टॉक अफ्रीकी देशों में निर्यात योग्य माल ना के बराबर है जबकि माया मार के उत्पादक व निर्यातक अपना मनमाना बनाते हुए न केवल तुवर का भाव में बढ़ोतरी कर रहे हैं बल्कि माल की बिक्री भी सीमित मात्रा कर रहे हैं। भारत में हो रही मुश्किलों का फायदा उठा रहे हैं।
व्यापारियों के अनुसार फरवरी मार्च में ही सरकार कुछ वैकल्पिक एवं थोक उपायों का निर्णय लेना चाहिए था। यदि सरकार उस समय पीली मटर के आयात नियम को उदार बना दिया जाता तो तुवर की मांग एवं खपत पर दबाव घट सकता था।
Whatsapp ग्रुप में जुड़ना चाहते हैं तो 👉 यहां पर दबाएं
इसे भी पढ़ें 👉 सरसों का भाव
इसे भी पढ़ें👉 गेहूं का भाव
इसे भी पढ़ें👉 सोयाबीन का भाव
इसे भी पढ़ें 👉 सरसों एमएसपी खरीद: सरसों किसानों के लिए खुशखबरी, कल सरसों की सरकारी खरीद होगी
व्यापार अपने विवेक से करे