कपास के भाव अबकी बार उपेक्षा के अनुरूप न बढ़ने से कपास के किसान निराश हैं। अबकी बार सफेद सोना का भाव बढ़ने की बजाय घटते जा रहे हैं। पिछले साल इस समय 11500 ₹ कपास के दाम पहुंचे जो इस वर्ष 8000/8500 के आसपास बोले जा रहे हैं। इससे किसान नाराज हैं और मूल्य की तेजी का इंतजार कर रहे किसान संकट में हैं।
पश्चिम विदर्भ के वणी शहर कृपास केंद्र के रूप में जाना जाता है। विदर्भ के अलावा अन्य तहसील से कपास बिक्री के लिए आती है। यहां पर व्यापारियों ने 10 से 12 जिनिंग कारखाने लगा रखे हैं। कपास को किसानों की प्रमुख नकदी फसल के रूप मे जाना जाता है।
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अबकी बार कपास अनुमान लगाया गया था कि कीमतें रिकार्ड स्तर तक बढ़ेगी। लेकिन अक्तूबर से कपास के भाव 9,500 हजार के करीब थे। यह जनवरी के अंत तक 8,400 रुपये तक पहुंच गया है। वर्तमान में कपास की कीमत 8,000 रुपए के करीब हैं। जिससे किसानों में तीव्र असंतोष हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव
अंतरराष्ट्रीय बाजार मे कपास के दाम मे उतार- चढ़ाव बना है। इसी तरह घरेलू बाजार में भी रेट कमजोर हो रहे हैं। किसान इस समय जो भाव चल रहा है। उस पर फसल बेचने को तैयार नहीं है क्योंकि किसानों ने खाद और महंगे कीटनाशकों के प्रयोग करने से काफी खर्चा हुआ है। अबकी बार किसानों को फसल बचाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। अबकी बार भारी बारिश के कारण कीटों का प्रकोप बढ़ा जिससे किसानों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ा मौजूदा समय की कीमतें किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं कर पा रही। इसलिए किसान काफी चिंतित हैं। इसलिए किसानों को खेती करने के लिए कपास की कीमतों में बढ़ोतरी होने ही चाहिए।
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किसानों के अलावा व्यापारियों में भी चिंता बढ़ने लगी है। क्योंकि किसानों ने जो कपास रोका है उसका सब्र का बांध अब टूटने लगा है। देश भर की प्रमुख मंडियों में दैनिक आवक डेढ़ लाख गांठ के आसपास आने लगी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी रूई की खपत घटने लगी है। जिन किसानों ने कपास रोक रखा है। वह अब 9000 के भाव देखने लगे हैं।
तेजी या मंदी
अबकी बार कॉटन उद्योग बजट में कुछ ना मिलने से निराश है। पिछले दो साल से कपड़ा उद्योग कपास की आवश्यकता और खर्चों के लागत से जूझ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मांग कमजोर है। निर्यात की संभावना भी घट रही है। इन सब कारणों से कच्चे कपास और नरमा में दबाव है।
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2023 में कपास का भाव क्या रहेगा
जानकारों के अनुसार रूई में मांग बढ़ने पर ही नरमा कपास में सुधार थोड़ा सुधार बन सकता है। उम्मीद की जा रही है कि मार्च में रुई की मांग में सुधार हो सकता है। व्यापार अपने विवेक से करें क्योंकि आने वाली तेजी या मंदी आने वाली परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
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