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केन्द्र सरकार का देसी चना का आयात जल्दी से जल्दी शुरू करवाने पर जोर

सीमा शुल्क को खत्म करने का फैसला लेने के बाद सरकार चाहती है कि भारतीय आयात जल्दी से जल्दी विदेशो से इसका आयात चालू करे और ज्यादा से ज्यादा क्वांटिटी में चना मंगाने का यत्न करे घरेलू मंडियों में नई फसल की सप्लाई का पीक सीजन होने के बावजूद मंडियों में न तो चना की आमदनी का दबाव बन रहा है और न ही चना के भावों में मंदी आ रही है।

 

देसी चना का आयात

 

चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 5440 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया हुआ है जबकि घरेलू मंडियों में चना के भाव करीब 10 से 15 प्रतिशत तेज चल रहे है इसके फलस्वरूप सरकारी एजेंसी को भी बफर स्टॉक के लिए चना खरीदने में कठिनाई हो रही है केन्द्र सरकार ने घरेलू प्रभाग में चना की सप्लाई खुले बाजारों में बढ़ाने और चना के भावों को काबू रखने के उद्देश्य से चना के आयात को शुल्क मुक्त करने का फैसला लिया है।

 

लेकिन सम्पूर्ण संसार के बाजारों की हालात को देखते हुए इस उद्देश्य के प्राप्त होने में संदेह है क्योंकि एक तो मैन निर्यातक देशों में चना का सीमित स्टॉक हाल-फिलहाल मौजूद है और दूसरे भारत में सीमा टैक्स खत्म होने की खबर मिलते ही ऑस्ट्रेलिया के कारोबारियों ने चना के भाव बढ़ाना शुरू कर दिया है भारत में पिछले कुछ सालों से देसी चना पर 66 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ था जिसे अब 31 अक्टूबर 2024 तक के लिए हटा दिया गया है।

 

केन्द्र सरकार तत्काल करीब 1.50 लाख टन चना का आयात करवाने का इरादा कर रही है जानकार सूत्रों से मिले समाचार के अनुसार देश में अभी तक करीब 15 लाख टन पीली मटर का आयात हो चुका है जिसे देसी चना के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है पीली मटर के आयात को दिसम्बर 2023 में टैक्स मुक्त किया गया था और अब इसकी समय सीमा भी 31 अक्टूबर 2024 तक बढ़ा दी गई है दलहनों के भावों में तेजी से सरकार बेहद चिंतित और परेशान दिख रही है।

 

समझा जाता है कि देसी चना एवं पीली मटर के आयात को टैक्स मुक्त करने के भारत सरकार के निर्णय का मैन पैदावार करने वाले और निर्यातक देशों में किसानों पर सकारात्मक असर पड़ेगा और चना की बुआई का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों भी अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं पहले सरकार की तरफ से कहा गया था कि चना की पैदावार बढ़ाने के प्रति कोई खास चिंता नहीं है।

 

 

क्योंकि साल 2023 से 24 के सीजन में चना की घरेलू पैदावार 121 लाख टन के करीब हो सकती है जो साल 2022 से 23 सीजन की पैदावार से केवल एक लाख टन कम है। व्यापार अपने विवेक से करें।

 

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