किसानों को बीट की खेती कैसे करें और पकने का समय कितना लगता है , जानें बीट की खेती करने की प्रक्रिया
किसानों को अपने खेत में अच्छा लाभ देने वाली सब्जियों की खेती करना चाहिए। बता दे की बीट (चुकंदर) की सब्जी की खेती करने पर किसानों को अधिक लाभ मिलेगा और इसके साथ-साथ हैं यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसको लगाकर किसान भाई अच्छी कमाई कर सकते हैं। और इसे करना आसान भी होता है। और बाजार में डिमांड की बात करें तो अच्छी रहती है। बता दें कि बीट की खेती के लिए किसानों को क्या-क्या आवश्यकता रहेगी इस आर्टिकल के द्वारा हम जानेंगे।
बीट की खेती करने की प्रक्रिया
किसानों को बीट की खेती करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का अवश्य ध्यान में रखना होगा जो कि नीचे दी गई है।
मौसम और मिट्टी की जरूरत: बीट की खेती को रेतीली दोमट, बलुई दोमट व उपजाऊ मिट्टी में खेती करना चाहिए। जलवायु की बात करें तो ठंडी जलवायु में इसका खेती करना अच्छा माना जाता है। बता दें कि किसान भाई अपनी मिट्टी की जांच अवश्य कारण और इसका पीएच मान 6 से 7 रहना चाहिए।
बुवाई करने का तरीका: बता दें कि इस की खेती करने से पहले किसानों का अपनी जमीन में अच्छी तरह से जुताई करें और एक समान समतल बना लें। उसके बाद इसके बीज डालने की बात करें तो जमीन में 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर डालें और जिसकी दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर पर बुवाई करें। प्रति हेक्टेयर बीच की मात्रा किसानों को 5 से 6 किलोग्राम तक रखना होगा।
खाद और पानी की मात्रा: किसानों को बीट की अपनी भूमि में बुवाई करने के बाद करीब हर 15 दिन के बाद पा सिंचाई करना होगा। मिली जानकारी अनुसार बीट की खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता तो नहीं रहती। लेकिन फिर भी नमी प्राप्त बनाए रखें और रासायनिक खाद की भी आवश्यकता नहीं होती लेकिन किसान भाई इसकी जगह पर जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं।
किट रोग का प्रभाव: बता दे बीट की फसल में कुछ कीटो रोग से नुकसान देखने को मिल सकता है। जैसे कि रूट रोट, बैक्टीरियल लीफ स्पॉट, लीफ माइनर, फूसरियम सड़न, अफिड इत्यादि की फसल में समय समय पर निगरानी करते रहना चाहिए। और इसके रोकथाम हेतु आवश्यकता होने पर बैक्टीरिया साइट फंगीसाइड और इंसेक्टिसाइड दवा का छिड़काव करें।
पकने पर कटाई कब और बिक्री का समय
इसकी फसल में पकने का समय लगभग 60 से लेकर 90 दिन रहता है। लगने वाले फल का साइज 5 से 10 सेंटीमीटर होने पर कटाई करें। उत्पादन की बात करें तो 40 से 50 क्विंटल तक होता है और बाजार में इसका मूल्य 20 से 30 रुपए किलो रहता है या नहीं आपको कम समय में अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
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