सरसों की पैदावार बढ़ाने (Increase Mustard Production) के लिए किसानों को किन-किन मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए इस आर्टिकल में अंत तक जरूर पढ़ें
भारत के कई राज्यों में तिलहन फसलों की खेती की जाती है। जिसमें हरियाणा राजस्थान उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश गुजरात के साथ अन्य राज्यों में भी सरसों की खेती की जाती है। और सरसों की फसल रबी सीजन में गेहूं के बाद सबसे ज्यादा बिजाई होने वाली फसल में से एक है। इसलिए किसानों (Increase Mustard Production) को इसकी देखभाल समय-समय पर करता रहना आवश्यक है और इसी के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विभाग की ओर से किसानों को खेती करने पर जरूरी सुझाव समय-समय पर दिया जाता है। ताकि किसानों को फसल उत्पादन अच्छा प्राप्त हो।
सरसों में रोग प्रबंधन कैसे करें (Increase Mustard Production)
जनवरी महीना का दूसरा सप्ताह भेजने को है ऐसे में किसानों को सरसों की फसल में लगने वाली झुलसा रोग, तना गलन रोग, सफेद रोली रोग औऱ तुलासिता रोग का प्रभाव ज्यादा रहता है। अगर फसल में इन में से किसी भी रोग से प्रभावित होती है तो उत्पादन में कमी देखने को निश्चित मिलती है। इसलिए किसानों को इस रोग के बचाव हेतु जरूरी कदम अवश्य उठाने चाहिए
Increase Mustard Production: किसानों को अपने खेत में लगातार निरीक्षण करता रहना चाहिए और अपनी फसल में सफेद रतवा नामक बीमारी के लक्षण देखने को मिले इस समय किसानों को प्रति एकड़ मैंकोजेब (डाइथेन एम-45) 600-800 ग्राम को 250 से 300 लीटर पानी में मिलाकर सरसों की फसल में सप्रे के द्वारा छिड़काव करें और यह प्रक्रिया 15 दिन में दो से तीन बार करना होगा।
इसके अलावा किसानों को इस कड़क ठंड के चलते फसलों को पाला पड़ने की शिकायत होने पर अपनी फसल में हल्की सिंचाई करें। बता दे की (Increase Mustard Production) हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा समय-समय पर मौसम की जानकारी दी जाती है उन्हीं के अनुसार ही फफूंदीनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए।
इन सब के अलावा भी किसान अपनी फसल में माहू , आरा मक्खी आदि जो प्रमुख कीट सरसों में दिखाई देने लगते हैं। उनकी समय पर देखभाल कर उपचार करना चाहिए या अधिक जानकारी के लिए (Increase Mustard Production) आप अपने नजदीकी कृषि विभाग के द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
Increase Mustard Production: सरसों की बुवाई करते समय किसानों को उन्हीं किस्म का चुनाव करना चाहिए जो रोग व कीटों से लड़ने में सक्षम हो उन्हें किस्म की बुवाई करना चाहिए। और बुवाई करते समय बीज समस्त होना चाहिए और जिस पर लगे हुए रोग जनकों की समान कम होती है।
सरसों की फसल में रासायनिक उर्वरक कब और कैसे इस्तेमाल करें
किसान भाइयों को सरसों की अच्छी पैदावार (Increase Mustard Production) लेनी हेतु वैसे तो रासायनिक उर्वरक खाद डालने के लिए अपनी मृदा प्रशिक्षण आवश्यक करवाना चाहिए। उसी के अनुसार ही खेत में खाद डालना चाहिए। सरसों की फसल में पोटाश नाइट्रोजन फास्फोरस जैसे प्रमुख तत्वों की आवश्यकता होती है इसके अलावा गंधक की भी सबसे ज्यादा आवश्यकता इस फसल में रहता है।
जहां पर सिंचाई की जाती है उन भूमि में सरसों की खेती के लिए खाद की मात्रा की बात करें तो पोटाश 60 किलोग्राम नाइट्रोजन 120 किलोग्राम और पोटाश 60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की डर से डालना चाहिए। वहीं अगर किसान पासपोर्ट का प्रयोग सिंगल सुपर फास्फेट खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें ज्यादा अच्छा लाभदायक है।
सरसों की फसल में अगर सिंगल सुपर फास्फेट खाद का उपयोग नहीं करते हैं तो इसके अलावा फसल में सल्फर की पूर्ति के लिए अलग से प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम गंधक का प्रयोग करना होगा।
जिन क्षेत्र में पानी की सुविधा नहीं है। वहां पर बुवाई के समय उपयुक्त खाद की आधी मात्रा बिजाई के समय मशीन के द्वारा प्रयोग किया जाना चाहिए। और अगर डीएपी का खाद किसान देते हैं। तो बुवाई के समय 200 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर की मात्रा में इस्तेमाल करें। किसानों को सरसों की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 60 क्विंटल तक गोबर की सड़ी हुई खाद का प्रयोग किया जाना आवश्यक है।
जिन खेतों में पानी से सिंचाई होती है वहां पर किसानों को नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फेट और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय डालना चाहिए। वही सरसों की फसल में पहली सिंचाई में नाइट्रोजन की आधी मात्रा बची हुई है उसका उपयोग कर लेना चाहिए।
सल्फर के उपयोग से सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ाएं
सरसों की फसल (Increase Mustard Production) में किसानों को गंधक का प्रयोग अवश्य करना चाहिए क्योंकि इससे सरसों में तेल की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ दाना मोटा और चमकदार बनता है। अगर किसान सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करते हैं तो सल्फर अतिरिक्त डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती वहीं अगर आप फास्फोरस डालते हैं। तो आपको सल्फर का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
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नोट: किसान भाइयों आज इस आर्टिकल के द्वारा अपने जाना सरसों की फसल में पैदावार बढ़ाने (Increase Mustard Production) के लिए किन-किन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए लेकिन फिर भी अगर आपकी फसल में कोई भी प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ता है तो आप अपने आसपास के नजदीकी कृषि इसे सदियों से जानकारी ले सकते हैं।