मौसम विभाग ने इस वर्ष के करीब सीजन से पहले ही अल नीनो को लेकर अलर्ट जारी किया था। जिसका प्रभाव इस वर्ष मानसून पर देखने को मिला है। जिस वजह से अगस्त महीना सदी का सबसे सूखा रहने वाला है। अल नीनो के चलते अगस्त महीने में मानसून की बारिश बहुत कम देखने को मिली।
रिपोर्ट अनुसार, खरीफ की फसल (Production Of Crops) पर भी इसका असर होगा एवम् उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। जिसका असर एक और महंगाई एवम् मूल्य वर्द्धी दर पर भी दिखाई देगा। रिपोर्ट में कहना है कि इकोनॉमी में मानसून वर्षा, खाद्य उत्पादन में 70 फीसदी का योगदान देती है।
मौसम विभाग के अनुसार चालू माह में भारत में अनुमानित वर्षा 180 एमएम हुई है , वही अगस्त के पहले पंखवाडे में वर्षा 90.7 एमएम दर्ज की गई थी, जो बीते वर्षो के सामान्य 254 एमएम से 40 फीसदी कम रही। वही मौसम विभाग द्वारा जल्द ही अगस्त माह के पूरे एवम् अगले माह सितंबर के आंकड़े 1 सितंबर को जारी कर सकता है। इससे पहले अगस्त माह में 2005 में सबसे कम वर्षा 191 एमएम दर्ज की गई थी।
Production Of Crops: रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अनियमित मानसून के चलते जून माह में बारिश 10 फीसदी की कमी रही वही जुलाई माह में तकरीबन 17 फीसदी तक ज्यादा वर्षा हुई है। सूखे की मार के चलते फसलों एवम् मिट्टी में नमी की कमी बन रही है, जिसके चलते खड़ी फसल में नुकसान पहुंच रहा है।
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