आज इस पोस्ट में आप जानेंगे मुंग का भविष्य, मूसर का भविष्य, उड़द का भविष्य, मोठ का भविष्य, आदि सभी सभी फसल का ताजा
मसूर का भविष्य
हालांकि मसूर का दबाव बहुत ज्यादा उत्पादक मंडियों में नहीं है, लेकिन अन्य दलहनों की बिक्री ठप पड़ जाने से मसूर दाल की मिलिंग करने वाले भी कारोबारी माल कम खरीद रहे हैं। दूसरी ओर बीनागंज, भोपाल लाइन में किसानी माल की थोड़ी आवक बढ़ जाने से वहां से बिकवाली का प्रेशर बन गया है। यही कारण है कि पिछले चार-पांच दिनों के अंतराल 50 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट मसूर में आ गई है, लेकिन अब यहां बाजार आकर ठहर जाएगा। वर्तमान में 5900/ 5925 रुपए की बिल्टी में मसूर लाभ दे जाएगी, क्योंकि विदेशी मसूर जो 200/250 रुपए नीचे बिक रही थी, वह 50 रुपए ऊपर बिक रही है।
उड़द का भविष्य
सरकार का प्रेशर उड़द की महंगाई को रोकने की कार्यवाही चल रही है, लेकिन उड़द का स्टॉक किसी भी मंडियों में नहीं है तथा वर्तमान में बर्मा से आयात करने पर काफी महंगी पड़ रही है। आयातक नये सौदे भी कम कर रहे हैं। चेन्नई में भी ज्यादा माल नहीं है, यही कारण है कि गत सप्ताह नीचे में एसक्यू 9100 रुपए बिकने के बाद एसक्यू 9350 रुपए प्रति क्विंटल पर जा पहुंचा है। इसी तरह एफ ए क्यू के भाव भी 8350 रुपए बिक गया, इन परिस्थितियों में उड़द का व्यापार हर भाव में करते रहना चाहिए। माल की कमी से अभी घटने वाली बात नहीं है, क्योंकि नई फसल घरेलू निकट में आने वाली नहीं है।
मूंग का भविष्य
पुरानी मूंग शॉर्टेज में जरूर है, लेकिन अब धीरे-धीरे प्रांतवार फसलें आने से बाजार लगातार टूटने लगे हैं। नीचे के भाव से बाजार 200/300 तेज हो गए हैं, अभी भी दाल धोया एवं छिलका की बिक्री अनुकूल नहीं होने से मिलों की खरीद कम हो रही है तथा अगले सप्ताह मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2 लाख मीट्रिक टन मूंग बेची जानी है, उसके टेंडर साप्ताहिक बिक्री के चल रहे हैं, जिससे बाजार आगे टिकना मुश्किल लग रहा है, इसलिए जरूरत के अनुसार ही माल खरीदना चाहिए। हल्के भारी माल ज्यादा मंडियों में बिकने के लिए आ रहे हैं, जो बाजार को तेज नहीं होने देंगे।
तुवर का भविष्य
वास्तविकता यह है कि तुवर शार्टेज में आ गई है, जिससे चेन्नई, दिल्ली कारोबारी हर भाव प्रतिस्पर्धात्मक मांगने लगे हैं, जिस कारण तुवर के भाव दस दिन के अंतराल उपर में 109 रुपए बन गये थे, बाद में मुनाफावसूली की बिकवाली से 104 रुपए प्रति किलो लेमन क्वालिटी की रह गई है। रंगून से तुवर दिल्ली के पड़ते से 500 रुपए ऊपर मिल रही है तथा वहां से लोडिंग लेट हो गई है। अभी हाल ही में 60/70 डॉलर प्रति टन और बढ़ाकर भाव वहां बोलने लगे हैं। तुवर की कोई फसल आने वाली नहीं है तथा आगे खपत को देखते ही अगले एक-दो दिनों के अंतराल ही लेमन तुवर 110 रुपए प्रति क्विंटल को पार कर सकती है तथा दाल में भी इसी अनुपात में तेजी आ जाएगी।
मोठ का भविष्य
मोठ में भी चालू माह के अंतराल 100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट पर यहां 6650/6750 रुपए प्रति क्विंटल का व्यापार हो रहा है। इसमें भी धोया बनाने वाली मिलें कम खरीद रही है, क्योंकि मूंग के भाव काफी टूट गए हैं। राजस्थान की मंडियों में नमकीन भुजिया बनाने वाली कंपनियां भी माल लेने से पीछे हट गई हैं, उन परिस्थितियों में बाजार अभी कुछ दिन दबे रहने के आसार हैं। वर्तमान भाव पर एक बार माल बेचना चाहिए।
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नोट :- व्यापार अपने विवेक से करे। किसी भी फसल में तेजी या मंदी आने वाली फसल की मांग और परिस्थितियों पर निर्भर करती है। किसी भी लाभ हानि होने पर सुपर मंडी भाव जिम्मेवार नहीं है।