भारत में दलहन की फसलों का उत्पादन कितना होगा इस बात पर अभी संदेह बना हुआ कृषि मंत्री ने चलते हुए सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 196.50 लाख टन दलहन के उत्पादन काअनुमान लगाया है।
हालांकि अग्रणी जानकार ने महज एक सौ पचास लाख टन के उत्पादन की संभावना व्यक्त की है दोनों के बीच खासकर चना के उत्पादन अनुमान में सबसे ज्यादा अंतर है जानकार का कहना है कि दलहन फसलों का वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम होगा।
जानकारों के अनुसार चना का उत्पादन अधिक से अधिक 110 लाख तक पहुंच सकता है जबकि सरकार ने 136 लाख टन के रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना जाहिर की है। जानकार के अनुसार उसका अनुमान अब भी हकीकत से कुछ ऊंचा ही है।देशमें 90 लाख टन से भी कम चने की खपत 1 वर्ष में होती है ।यदि 136 लाख टन की सरकारी उत्पादन का अनुमान यह सही मान लिया जाए तो सरकार को बहुत ही विशाल मात्रा में खरीद करने के लिए विवश या मजबूर होना पड़ सकता है।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कृषि मंत्रालय एवं जानकार दोनों मसूर का उत्पादन 16 लाख टन होने का अनुमान लगा रहे हैं जो पिछले साल की उत्पादन का लगभग 13 लाख टन से ज्यादा है मसूर का बिजाई क्षेत्र भी अधिक है और फसल भी अच्छी है।
भारत में मसूर की औसत सालाना मांग 20 लाख टन को पार कर चुकी है इसीलिए बेहतर घरेलू उत्पादन के बावजूद यहां विदेशों से मसूर के आयात की आवश्यकता बनी रहेगी 31मार्च ,2023 को मसूर के आयात शुल्क मुक्त की अवधि समाप्त होने वाली है।
एक अन्य जानकार के मुताबिक देसी चना का उत्पादन2022 की तुलना में 2023 के दौरान 7 से 10 लाख10 तक कम हो सकता है जबकि मसूर के उत्पादन में करीब 4 लाख टन की बढ़ोतरी तथा काबुली चना की उत्पादन में ढाई लाख की बढ़ोतरी होने की उम्मीद बताई गई है । इसके अलावा दलहन की पैदावार भी बढ़ सकती है जिससे देसी चना के उत्पादन में आने वाले गिरावट की क्षति पूर्ति हो जाएगी अतः दल्हन का कुल उत्पादन पिछले वर्ष के लगभग बराबर हो जाएगा
ध्यान देने की बात है कि अधिकांश विश्लेषक 16 लाख टन मसूर के उत्पादन अनुमान से सहमत और चना के उत्पादन अनुमान समीक्षक के तुलना में में मसूर का लाख टन असहमत हैं। एक मुताबिक 2022 की 2023 के दौरान भारत आयात करीब 1.50 घटकर 6-7 लाख टन पर सिमट सकता है। व्यापार अपने विवेक से करें।
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