दिल्ली में तेल-तिलहन बाजार में सोयाबीन, सरसों,बिनौला, तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल , बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में तेजी के साथ -साथ, मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज में तेजी के बीच का रुख देखने का मिला.तेल-तिलहन कीमतों में सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले देशी तिलहनों की पेराई की लागत अधिक बैठने से बढ़ते कायम रहेगी.
सिकागो एक्सचेंज में 0.75 फ़ीसदी कमजोर, और मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज पर 1.50 फ़ीसदी तेजी का रुख रहा है.
व्यापारी वर्ग के सूत्रों के मुताबिक सरकार को इस तथ्य की ओर ध्यान देना होगा कि खरीद सीज़न में अधिकांश देसी तेल तिलहन जैसे- सोयाबीन बिनोला ,मूंगफली, नरमा कपास ,इत्यादि नवंबर के महिने में मंडियों में आ जाते हैं ऐसे में जब देश में तेल और तिलहन उत्पादन बढ़ रहा है जिसे आयात घटना चाहिए जबकी किसका उल्टा हो रहा है और यह निर्यात लगातार बढ़ रहे है यह भारत के लिए अच्छा संकेत नहीं है इसका जल्द ही सुधार करना चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक सोयाबीन और सूरजमुखी आयातित तेल के भाव लगभग 110 रुपए प्रति लीटर पड़ रहे है और इसमें सारा खर्चा जोड़ दिया जाए तो दोनों तेलों का खुदरा बिक्री मूल्य लागत 130 से ₹135 प्रति लीटर से अधिक होनी चाहिए। इस पर सरकार इसके बारे में पूरी जानकारी ले तो सारी तस्वीर सामने आ सकती है कि लोग कैसे मनमानी रूप से बाजार में बेच रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में अपने घरेलू तेलों की जरूरतों पूरा करने के लिए लगभग 60 फिसदी तेल विदेशों से आयात किया जाता है ऐसे में सोयाबीन जैसे तेलों का स्टॉक भारत में कैसे बढ़ रहा है। इस में तस्वीर साफ हो जाती है कि देसी मंडियों में तेल तिलहन की खपत नहीं हो रही है इसमे सरकार को तत्कालीन प्रभाव से ध्यान देना चहिए और आयातित एवं पर शुल्क लगाने की और ध्यान देना पड़ेगा. उपभोक्ताओं को विशेष राहत नहीं मिल रही है तेल उद्योग और किसान बुरी हालत में पड़े हुए हैं।सूत्रों के मुताबिक सभी आयात शुल्क में राहत दिये जाने की मांग करने लगते हैं जब खाद्य तेलों के दाम बढ़ने लगते है लेकिन जब पिछले 5 महीने से दाम टूटे हुए हैं तब कोई भी इसकी और ध्यान नही दे रहा है
जानकारों के मुताबिक इन सारी उलझनों से पार पाने के लिए चाहिए कि हमें खुद का ज्यादा तेल तिलहन उत्पादन बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए बल्कि देश को आयात पर निर्भर होना पड़े।
इस बारे सबसे अधिक जिम्मेवारी तो तेल संगठनों की बनती है क्योंकि वे सरकार को यथाशक्ति से अवगत करवा सकती है। पिछले 5 महीनों से टूटे तेल तिलहन उद्योग बुरी स्थिती में पड़े हैं और अब सस्ता आयातित तेल इनको और परेशानियों में डाल रहा है सरकार को चाहिए कि इस और ध्यान दें और परेशानियों को जल्दी से जल्दी निपटारा करें जिससे व्यापारियों और किसानों को परेशानियों का सामना नही करना पड़े. ताकि ,देसी तेल तिलहन के भाव अच्छे दामों पर बेच सकें और अच्छा लाभ कमा सके।
सूत्रों के मुताबिक इस समय बिनोला के मंडी भाव एमएसपी से कहीं अधिक होने के बावजूद भी किसानों को पिछले साल के मुकाबले बिनौला और सोयाबीन की कीमतें अच्छी नहीं मिल रही है
इस बार अधिक कीमत में किसानों को इन बीजों को खरीदना पड़ा है.यही कारण है कि किसान नीचे भाव पर बिक्री के लिए बाजार में कम फसल ला रहे है इसलिए तेल मिलों को चलाना मुश्किल हो रहा है सस्ता आयात तेल इस को प्रभावित कर रहा है इस लिए सरसों बिनौला सोयाबीन और मूंगफली तेल तिलहन पराई मिलों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा .व्यापारियों का कहना है कि सरकार कुछ ऐसे बड़े कदम उठाए जिसे आयात में कमी कि जा सके और जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिल सके.
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पिछले कारोबारी दिन में तेल तिलहन के भाव?
सरसों तिलहन -7035 से7085 ,42 प्रतिशत कंडीशन का भाव रुपये क्विंटल.
मूंगफली -6460 से6520 रुपये क्विंटल.
गुजरात मूंगफली तेल मिल डिलिवरी -15,150 रुपये क्विंटल.
मूंगफली रिफाइंड तेल -2435/2700 रुपये टिन.
सरसों तेल दादरी -14050 रुपये क्विंटल.
सरसों पक्की घानी -2130 से2260 रुपये टिन.
सरसों कच्ची घानी: 2190/2315 रुपये/टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी -18900 से21000 रुपये क्विंटल.
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली -13100 रुपये क्विंटल.
इंदौर सोयाबीन मिल डिलिवरी – 13000 रुपये क्विंटल.
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला -11400 रुपये क्विंटल.
सीपीओ एक्स-कांडला -8650 रुपये क्विंटल.
हरियाणा बिनौला मिल डिलिवरी -11600 रुपये क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली -10150 रुपये क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला -9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
5,525 से5,625 रुपये क्विंटल सोयाबीन दाना
5,335 से5,385 रुपये क्विंटल सोयाबीन
4,010 रुपये क्विंटल मक्का खल
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