ग्वार गम, गेहूं में आई तेजी,नरमा कपास ग्वार चना गेहूं सरसों मुंग मोठ जौ मुंगफली तिल सभी मंडियों के ताजा भाव देखें हमारी वेबसाइट www.supermandibhav.com पर देखते रहें।
एग्री कमोडिटी न्यूज़ 03 दिसंबर 2022 : ग्वार गम :औद्योगिक मांग बढ़ने से हाल ही में जोधपुर मंडी में ग्वार गम के भाव 3700 रूपये प्रति कुंतल बढ़ गए। भविष्य में घटने की गुंजाइश नहीं है बाजार और बढ़ सकता है।
औद्योगिक मांग के साथ-साथ निर्यातको की पूछ पर परख बढने से एक माह के दौरान जोधपुर मंडी में ग्वार गम के भाव 3700 रूपये बढ़कर 12700/12800 रुपए प्रति कुंतल हो गए। उक्त अवधि के दौरान बिकवाली घटने से जोधपुर मंडी में ग्वार के भाव भी 1500 रूपये बढ़कर 6050/6100 रूपये प्रति क्विंटल हो गए। अहमदाबाद में ग्वार गम के भाव 3700 रुपए बढ़कर 12700/12800 रूपये प्रति क्विंटल बोले गए। सट्टेबाजी बढ़ने के कारण एनसीडीईएक्स में ग्वार गम दिसम्बर डिलीवरी में भारी उछाल देखने को मिला। वायदा में आई भारी तेजी के कारण हाजिर में बाजार बढ़ गया। उक्त अवधि के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में उठापटक का दौर बना रहा। ग्वार गम का निर्यात मुख्यतः यूएसए, जर्मनी, रूस, चाइना, यूके, जापान, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड इत्यादि देशों को होता है ग्वार के उत्पादन में गिरावट का प्रमुख कारण पिछले कई सालों लगातार ग्वार की कीमतों में मंदी का रुख बने रहने के कारण किसानों का रुझान ग्वार की तरफ से हट गया। जिसके कारण देश में ग्वार का उत्पादन कमजोर रहा। लेकिन देश में चालू सीजन के दौरान राजस्थान में ग्वार की बिजाई गत वर्ष अधिक हुई है, बिजाई बढ़ने के साथ-साथ अनुकूल मौसम होने के कारण ग्वार का उत्पादन 84 / 85 लाख बोरी के लगभग होने की संभावना है। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा की मंडियों में ग्वार की आवक 78000/80000 बोरी के लगभग दैनिक होने लगी है। वर्तमान हालात को देखते हुए आने वाले समय में ग्वार गम की कीमतों में गिरावट की गुंजाइश नहीं है बाजार और बढ़ सकता है।
इसे भी देखें 👉guar ka bhav, आज ग्वार की कीमतों में आया बदलाव देखें आज सभी मंडियों के ताजा भाव
आयल में गिरावट
विदेशी तेलों में नरमी का रुख होने तथा मांग कमजोर होने से अधिकाश खाद्य तेल के भाव 200/600 रूपयेप्रति क्विंटल टूट गए उठाव होने से अखाद्य तेलों की कीमतों में भी गिरावट रही
ग्राहकी का समर्थन ना मिले तो था बिकवाली बढ़ने से सरसों तेल 200 रूपये टूटकर 13400 रूपये प्रति कुंतल रह गया। हरियाणा की मंडी में इसके भाव 13300 रुपए प्रति कुंतल बोले गए। तेल मिलो की मांग कमजोर होने से लारेंस रोड पर सरसों के 75/100 रूपये घटकर 6500/6550 रुपए प्रति क्विंटल रह गई। देश की विभिन्न मंडियों में सरसों की आवक 240000 बोरी के लगभग की रही विदेशों के मंदे समाचार आने तथा मांग कमजोर होने से सोया तेल भी 300 रूपये घटकर 12900 रूपये प्रति कुंटल रह गया। आयातको की बिकवाली बढ़ने से कांदला में इसके भाव 12600 रूपये प्रति कुंतल बोले गए। महाराष्ट्र राजस्थान और मध्य प्रदेश के मंडी में सोयाबीन की आवक 5.25 लाख बोरी के लगभग की रही। सोयाबीन के भाव लूज मंडियों में 5200/5300 रूपये तथा डिलीवरी 5400/5600 रूपये प्रति कुंतल बोलें गए। रिफाइंड वालों की मांग कमजोर होने से बिनोला तेल भी 350 रूपये घटकर 11550 रूपये प्रति कुंतल पर आ गया, जबकि आपूर्ति कमजोर होने से तिल तेल की कीमतों में स्थिरता रही विदेशों में सीपीओ के भाव 30 डालर घटकर 1025/1030 डालर प्रति टन रह जाने तथा वनस्पति घी निर्माताओं की मांग कमजोर होने से कांदला में क्रूड पाम आयल के भाव 150 रूपये घटकर 8150 रूपये प्रति क्विंटल रह गए। सटोरिया लिवाली के अभाव में केएलसी में सीपीओ जनवरी डिलीवरी के भाव 68 रिगिट घटकर 3973 तथा फरवरी डिलीवरी 73 रिंगिट घटकर 4005 रिंगिट प्रति टन रह गया।
साबुन निर्माताओं की मांग कमजोर होने से राइस फैट्टी के भाव 350 रूपये घटकर 9100/9150 रूपये प्रति कुंतल रह गए। मांग कमजोर होने से एसिड आयल के भाव 7000/7100 रुपए प्रति कुंतल पर सुस्त रहे। पेंट निर्माताओं की मांग बने रहने से अरंडी तेल की कीमतों में स्थिरता रही।
इसे भी देखें 👉PM kisan saman nidhi yojana: किसानों को 13वीं किस्त की मिलने तारीख अभी से हुई कंफर्म! जल्दी से निपटा लीजिए यह जरूरी काम
सरसों तेल तेजी के आसार कम
ग्राहकी कमजोर होने आपूर्ति बढ़ने से हाल ही में सरसों तेल के भाव 750 रूपये प्रति कुंटल नीचे आ गए। भविष्य में भी इसमें और तेजी की संभावना कम है।
सरसों तेल की तेजी मंदी के बारे में खबरें पढ़ने को मिलती रहती हैं इसी ताजा सर्वे के अनुसार ऊंचे भाव पर ग्राहकी का समर्थन ना मिलने तथा मुनाफावसूली आने से एक माह के दौरान सरसों तेल 750 रूपये गिरकर 13600 रुपए रूपये प्रति क्विंटल रह गया। टीनों में इसके भाव 100 रूपये घटकर 2300/2550 रूपये रह गए। उल्लेखनीय है कि ऊपर वाले भाव अभी तक 5200 रुपए कुंतल की उल्लेखनीय गिरावट आ चुकी है। उक्त अवधि के दौरान लारेंस रोड पर सरसों के भाव 100 रूपये घटकर 6600/6625 रुपए प्रति कुंतल रह गई। बिहार, बंगाल की मांग घटने से राजस्थान की मंडियों में भी सरसों तेल की कीमतों में मंदे रुख रहा जयपुर में कच्ची घानी तेल के भाव 800 रूपये घटकर 13800 रूपये रह गया 42 %कंडीशन सरसों के भाव 250 रूपये घटकर 6800/6850 रूपयेप्रति क्विंटल रह गई देश के विभिन्न मंडियों में सरसों की आवक 2.50 लाख बोरी के लगभग दैनिक की हो रही है देश में चालू सीजन के दौरान सरसो की बिजाई में काफी बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमते पिछले दिनों रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई थी। विदेशो में खाद्य तेलो में का स्टाक पर्याप्त मात्रा में लेकिन सरकार द्वारा हाल ही में खाद्य तेलों से स्टाक सीमा हटाए जाने के कारण स्टाकिस्टो की मांग फिर से बढ़ गई थी। लेकिन ऊंचे भाव पर ग्राहकी का सर्मथन न मिलने कारण सरसों तेल के भाव पुनः दब गए। सरकारी नीति एवं मांग को देखते हुए आने वाले समय में सरसों तेल की कीमतों में और तेजी गुंजाइश नहीं है बाजार सीमित दायरे में में घूमता रह सकता है।
इसे भी देखें 👉Sarso ka bhav, सरसों में आई गिरावट देखें आज सभी मंडियों में ताजा भाव
जीरा रुक सकती है तेजी
हाल ही में आई तेजी के बाद यहां जीरे का उठाव मजबूत ही बना हुआ। यही वजह है कि यहां पर जीरा सामान्य 200 रुपए और तेज होकर 24,400 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर जा पहुंचा। बीते दिन भी इसमें इतनी ही तेजी आई थी। विधानसभा चुनाव की वजह से ऊंझा में जीरे की आवक घटकर करीब 5-6 हजार बोरियों की होने और कीमत एक दिन पूर्व के स्तर पर ही बनी होने की खबर मिली। सटोरियों की लिवाली घटने से सक्रिय वायदा 80 रुपए या 0.32 प्रतिशत मंदा होकर 25, 155 रुपए पर आ गया। इससे बाजार की धारणा प्रभावित हो सकती है। आने वाले एक-दो दिनों में हाजिर में जीरे की तेजी रुक सकती है।
इसे भी देखें 👉 अभी मंडी के ताजा भाव
नए सीजन में देश में गेहूं का उत्पादन बढ़ने के आसार
सीजन 2023 में देश में गेहूं का बंपर उत्पादन होने के आसार हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू बाजारों में गेहूं की तुलनात्मक रूप से ऊंची कीमतों तथा खेतों में नमी बनी होने से किसान बीते सीजन की तुलना में इस बार इस प्रमुख खाद्यान्न फसल की अधिक से अधिक बिजाई के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि चालू सीजन के दौरान मौसम अनुकूल नहीं होने के कारण देश में गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ था । विशेषज्ञों का मानना है कि गेहूं के संभावित ऊंचे उत्पादन की वजह से विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक, भारत, बीते मई महीने में गेहूं के निर्यात पर लगाई गई रोक को हटाने के लिए प्रोत्साहित हो सकता है । पाठकों को यह तो पता ही है कि घरेलू बाजारों में बढ़ती जा रही कीमतों तथा ऊंची खुदरा मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सरकार ने गत मई महीने में गेहूं निर्यात पर रोक लगा दी थी।
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तर भारत के परम्परागत गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की बुआई पहले ही ऊंची हो चुकी है। इसका प्रमुख कारण यह है कि इन राज्यों के किसान पहले ही ऐसी भूमि पर भी गेहूं की बिजाई कर रहे हैं, जहां आमतौर पर वह दलहनों और तिलहनों की बुआई करते थे।
एक प्रमुख निर्यातक ने कहा कि घरेलू बाजारों में गेहूं की कीमत बहुत आकर्षक बनी हुई है। उन्होंने आगे बताया कि हम गुजरात और राजस्थान जैसे राजें में भी गेहूं की बुआई में भारी वृद्धि देख सकते हैं। इन राज्यों के किसान बंजर भूमि में भी इस प्रमुख खाद्यान्न फसल की बिजाई कर सकते हैं।
वर्ष 2022 की अभी तक की अवधि में घरेलू बाजारों में गेहूं की कीमत करीब 33 प्रतिशत उछलकर फिलहाल 29 हजार रुपए (355.19 डॉलर) प्रति टन के आसपास बनी हुई हैं। सरकार द्वारा निर्धारित 21,250 रुपए प्रति टन की न्यूनतम समर्थन कीमत की तुलना में गेहूं की नवीनतम कीमत काफी ऊंची बनी हुई है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि निर्यात पर रोक लगी होने के बाद भी गेहूं की कीमत में यह उछाल आया है। इससे यह संकेत मिलता है कि इस वर्ष गेहूं के उत्पादन में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
भारत, विश्व में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा खपतकर्ता देश भी है एकाएक और अचानक तापमान में वृद्धि होने के बाद भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण वैश्विक आपूर्ति में आई कमी को पूरा करने के लिए निर्यातकों ने हर भाव पर इस प्रमुख खाद्यान्न की खरीद आरंभ कर दी थी।
देश में गेहूं की एक ही फसल आती है और अक्तूबर से लेकर नवंबर तक इसकी बुआई होती है और मार्च से इसकी कटाई आरंभ हो जाती है। केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नवीनतम अस्थाई आंकड़ों के अनुसार गत एक अक्तूबर से शुरू हुए वर्तमान बिजाई सीजन की अभी तक की अवधि में देश में गेहूं की 1.53 करोड़ हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। एक वर्ष पूर्व की आलोच्य अवधि की तुलना में गेहूं की नवीनतम बिजाई करीब 11 प्रतिशत ऊंची है।
पंजाब और हरियाणा जैसे देश के सबसे बड़े उत्पाटक राज्यों के किसानों शामिल हैं
इसे भी देखें 👉गेहूं में आई तेजी देखें आज गेहूं और सोयाबीन सभी मंडियों के ताजा का भाव
नोट – व्यापार अपने विवेक से करें
ग्वार गम, गेहूं में आई तेजी,सरसों तेल जीरा अखाद्य तेल की तेजी मंदी रिपोर्ट ।