अब नए गेहूं की आवक में साढ़े तीन माह का समय शेष है, इस अवसर पर आने वाले हैफेड के माध्यम से बिक्री की नीलामी भी निकाल दी गई है, जो पूर्व गोदाम माल को 2650/2700 प्रति किलो की दर से बेच रही थी. यह टेंडर 68 हजार मीट्रिक टन का बताया जा रहा है, लेकिन मंडियों में पैसे की किल्लत के चलते पूरा टेंडर नहीं हो सका. अब ये माल बिक चुकी रोलर फ्लोर मिलों और आटा मिलों को सप्लाई शुरू हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर ओएमएसएस के माध्यम से सरकार ने जनवरी से नई फसल आने तक 20 लाख मीट्रिक टन प्रति माह बेचने की बात कही है, जिसके लिए सरकार ने काफी कम कीमत तय की है.
सरकार ने गेहूं पर खेली नई पारी, अब लंबी तेजी की गुंजाइश नहीं गेहूं में रिकॉर्ड तेजी के बावजूद सरकार ने धीरे-धीरे चालू वित्त वर्ष का तीन-चौथाई खर्च कर दिया. अब चौथाई समय बचा है और सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना बनाकर नया कार्ड खेला है, इसे देखते हुए अब गेहूं की कीमत 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार नहीं जा पाएगी. गौरतलब है कि देश में गेहूं का उत्पादन कम होने से सभी मंडियों में गेहूं की किल्लत की स्थिति पैदा हो गई है. दूसरी ओर, सरकार द्वारा बार-बार कहा गया कि बीच में बफर स्टॉक अधिक था, लेकिन ओएमएसएस के माध्यम से खुले बाजार में कभी भी गेहूं नहीं बेचा गया। व्यापार अपने विवेक से करें
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