Yellow Rust of Wheat: गेंहू की फसल में पीला रतुआ होने पर बचने के लिए किसान क्या उपाय करें
गेहूं की फसल में येलो रस्ट रोग यानी पीला रतुआ (Yellow Rust of Wheat) देश के पंजाब हरियाणा दिल्ली राजस्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश जम्मू कश्मीर वह अन्य क्षेत्रों में भी गेहूं में हो जाता है जिससे फसल में काफी किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है उसका समय पर इलाज करना आवश्यक है।
गेहूं की फसल अब करीब 40 से 45 दिनों के बीच हो चुकी है ऐसे में किसानों को किस रोग की ओर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि कुछ हिस्सों में यह रोग पीला रतुआ देखने को मिल रहा है। गेहूं की फसल में लगने वाले येलो रस्ट को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान यानी पूसा संस्थान के द्वारा किसानों के लिए एडवाइजरी जारी किया गया है। जिसमें गेहूं में लगने वाले पीला रतुआ यानी येलो रस्ट रोग के बारे में जानकारी प्रदान की गई है। बता दे की दी गई जानकारी के अनुसार येलो रस्ट Yellow Rust of Wheat गेहूं की फसल के लिए खतरनाक बीमारी में से एक है बता दें कि इससे फसल में 70% से लेकर 100% तक भी नुकसान देखने को मिल सकता है इसलिए किसानों को इसको बचाव करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए आज हम इस रिपोर्ट में जानेंगे
गेंहू में पीला रतुआ की पहचान क्या है (Yellow Rust of Wheat)
गेहूं में पीला रतुआ यानी येलो रस्ट नामक बीमारी बीते सालों में ज्यादा ही देखने को मिल रही है। बता दे की यह मुख्य उन क्षेत्र में ज्यादा पाई जाती है। जहां पर नमी में ज्यादा होती हैं।
गेहूं में इस रोग के आरंभ में लक्षण की बात की जाए तो यह पत्तियों के ऊपरी रिश्ता है पर पीले रंग की धारियों से शुरू होगा जो फिर सभी पत्तियां में पील पाउडर जैसा दिखाई देने लगता है जैसे पीसी हुई हल्दी का पाउडर हो।
किसान भाइयों गेहूं में पत्तों का पीलापन केवल पीला रतवा ही नहीं है बता दें कि पीलेपन होने के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे जमीन में ज्यादा पानी का खड़ा होना या पोषक तत्वों की कमी के चलते भी गेहूं में पीलापन आ सकता है यह जिन जमीन में नमक की मात्रा ज्यादा हो वहां पर भी गेहूं में पीलापन देखने को मिल सकता है।
पीला रतुआ के कारण
Yellow Rust of Wheat: बता दे कि यह रोग हल्की बारिश होने या फिर रात के समय तापमान 7 से 13 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने और उच्चतम तापमान 15 से 24 डिग्री सेल्सियस होने की स्थिति में फसलों में आरंभ होने की प्रबल संभावनाएं रहती है।
गेहूं की फसल में पीला रतुआ होने पर कौन सी दवा का छिड़काव करना चाहिए
गेहूं की फसल में इस बीमारी का प्रभाव दोनों फसल के ताने पत्तियों और बोलियों सभी पर देखने को मिलता है जिससे उत्पादन में काफी नुकसान होने की खतरा बना रहता है बता दे कि किसानों को इसका उपाय करने से पहले फसल में पोषक तत्वों की कमी है। तो उसे भी पूर्ति करने चाहि। उसके बाद ही अगर आपको पीला रतुआ की बीमारी दिखाई दे। तो आप इसका उपाय करने की सलाह दी जाती है।
किसान साथी अगर आपके फसल में येलो रस्ट यानी पीला रतुआ (Yellow Rust of Wheat) बीमारी के लक्षण देखने को मिलते हैं तो आप गेहूं की फसल में टिल्ट प्रापिकोनाजोल, 25 ईसी का 0.1 % प्रतिशत घोल यानि 30 मिली रसायन 30 लीटर पानी में घोलकर स्टिकर डालकर प्रति कनाल की दर से स्प्रे द्वारा छिड़काव करें। इसी प्रक्रिया को आप 15 दिन के बाद फिर से दोहराएं
इसे भी पढ़ें 👉गेहूं की फसल में लगने वाली इल्ली का अटैक होने पर करें नियंत्रण, जानें पूरी जानकारी
इसे भी पढ़ें: Gehu Me Pilapan: गेहूं की फसल में अधिक फुटाव और पीलापन हटाने के लिए जानें शानदार उपाय
इसे भी पढ़ें 👉आलू की फसल में झुलसा रोग और पाला से बचाव कैसे करें, जानें पूरी जानकारी
सोना चांदी व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े 👉यहां पर दबाएं
सरकारी योजना व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े 👉यहां पर दबाएं