जिस तरह से बिना तेल के गाड़ी नहीं चल सकती वैसे ही अगर मोबील आॉयल ना हो तो इंजन सीज हो जाता है । सल्फर फसल में मोबील आॉयल का ही काम करता है । सल्फर से हमारी फसल को फायदा होता है।
अगर सल्फर को npk के साथ मिलाकर प्रयोग करने पर प्रोटीन बनाता है जो पौधे को एनर्जी देता है । यह एंजाइम और विटामिन बनाने मे सहायक हैं जिस से पौधा हारमोन छोड़ता है जिससे फसल में ग्रोथ होती हैं।
अगर सल्फर जमींन में डालते हैं तो जमीन का संतुलन (सायल कंडीशनर) बनाएं रखने का काम करता हैं। और जमीन का ph उसे भी कम करता हैं।
सल्फर तेल वाली फसलों में उत्पादन के साथ साथ तेल की मात्रा को भी बढ़ाता हैं।
सल्फर फफूंदनाशक के साथ साथ फसल को सर्दी से भी बचाता हैं।
प्रयोग करने की विधि
1. दानेदार सल्फर(90%) – बिजाई के समय प्रयोग करना चाहिए क्योंकि यह पौधे को 4 महीनें तक सल्फर की पूर्ती करता हैं।
2. पाउडर सल्फर(80%) – यह फसल में जल्दी असर करता है लेकिन इसका प्रयोग गर्मीयों में नहीं करना चाहिए ।
3. लिक्विड सल्फर (20%)- लिक्विड सल्फर का प्रयोग फसल में सल्फर की कमीं दिखनें पर इसका स्प्रे करे 2.5 ml प्रति लीटर प्रयोग करें ।
नाइट्रेट (कैल्शियम नाइट्रेट, 13:0 :45) के साथ सल्फर मिलाकर नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे सल्फर कंपाउड बना के जमींन में चला जाता है ।
सल्फर की कमीं के लक्षण – फसल की नई पत्तियों का रंग पीला पड़ जाता हैं।