भारत एक कृषि प्रधान देश है यह कि ज्यादातर आबादी कृषि कार्य करती है इस लिए यह के किसान मधुमक्खी पालन का कार्य कर सकते हैं किसानों को मधुमक्खी पालन करने के लिए हर संभव सहायता करने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) ने नाबार्ड (NABARD) के साथ टाईअप कर रखा है. दोनों बोर्ड ने मिलकर भारत में मधुमक्खी पालन व्यवसाय के लिए फाइनेंसिंग योजना भी चलाई गई है.
Bee farming: मधुमक्खी पालन को कार्य ग्रामीण इलाकों के लिए अच्छा मुनाफा देने वाले कोराबार में से एक माना जाता है. मार्केट में शहद की मौजूदा भाव 400 से 700 रुपए प्रति किलोग्राम तक है.इसी को देखते हुए किसान इस व्यवसाय से जुड़कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. आपको बता दें भारत सरकार मधुमक्खी पालन के इच्छुक किसानों को भारी सब्सिडी भी देती है.
कम खर्च में शुरू कर सकते हैं मधुमक्खी पालन व्यवसाय
अगर आप 10 पेटी से मधुमक्खी पालन की शुरुआत करते हो तो आपको 35 से 40 हजार रुपए तक का खर्च आता है. और मधुमक्खियों की संख्या भी हर साल बढ़ती जाती है. बता दें कि जितनी अधिक मधुमक्खियां बढ़ेंगी, उतना अधिक शहद का उत्पादन भी बढ़ेगा और कमाई भी कई गुना बढ जाएगी।
मधुमक्खियों को रखने के लिए लकड़ी के डिब्बे की आवश्यकता
मधुमक्खियों को पालन करने के लिए किसानों को लकड़ी के डिब्बे की व्यवस्था करनी होती है. इस डिब्बे में 10 मोम से बनी फरेम होती है इन फ्रेमों पर हजार मधुमक्खियां एक साथ रहती हैं. इन मधुमक्खियों द्वारा लगभग एक क्विंटल शहद का उत्पादन होता है.अगर आप प्रति बॉक्स 1000 किलोग्राम की शहद बनाते हैं, तो आप एक महीने में 5 लाख तक का शुद्ध लाभ हासिल कर सकेंगे. इस लिए कमजोर आर्थिक स्थिति वाले किसानों के पास इस व्यवसाय से अच्छी कमाई करने का मौका है.
शहद के साथ-साथ बढ़ती है दूसरी फसलों कि पैदावार
मार्केट में शहद की बढ़ती मांग से अगर कोई किसान मधुमक्खी पालन की सोच रहा है तो वह इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है। पहली बार मधुमक्खी पालन करने वाले किसान को 10 बाॅक्स से शुरू करना चाहिए। इस पर लगभग 35 से 40 हजार रुपए का खर्च आएगा। 10 बाक्स से लगभग दो से ढाई क्विंटल तक शहद मिल सकता है।
किसान भाई एपिस मैलीफेरा किस्म की मधुमक्खी के पालन से शुरुआत कर सकते हैं। इससे शहद, मोम, रॉयल जैली आदि उत्पाद मिलते हैं जो किसान की आय बढ़ाने का अच्छा जरिया बन सकते है।ट्रेनिंग लेकर ही शुरू करना चाहिए काम अगर कोई किसान व्यावसायकि तौर पर मधुमक्खी पालन करना चाहता है तो उसे सबसे पहले ट्रेनिंग ले लेनी चाहिए। ये ट्रेनिंग कृषि विभाग या कृषि विश्वविद्यालय के स्थानीय सेंटर से भी ली जा सकती है। प्रशिक्षण लेने का सबसे बड़ा लाभ ये होता है कि किसान को ये पता चल जाता है कि उसे कहां से सही बाक्स या अच्छी किस्म की मधुमक्खी मिल सकती हैं। अगर किसी किसान को मधुमक्खी पालन का अनुभव नहीं है तो उसे सीधे शुरुआत करने की जगह पहले किसी स्थानीय मधुमक्खी पालक के साथ काम करके इसका अनुभव लेना चाहिए।
मधुमक्खी पालन से 30 फीसदी तक बढ़ जाता है दूसरी फसलों की पैदावार
शहद उत्पादन से केवल किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि तिलहन, सब्जी, नींबू, माल्टा, लीची और अन्य फसलों में भी लाभ होगा। इन फसलों की पैदावार में 15 से 30 फीसदी तक बढ़ जाने की उम्मीद है क्योंकि 80 फीसदी पौधे क्रॉस परागण करते हैं और मधुमक्खियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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