अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती (Rice Price Today) की इन दिनों मांग बढ़ी हुई है पिछले 1 महीने में चावल के रेट में हमें बढ़ोतरी देखने को मिली है। बासमती चावल का निर्यात पाकिस्तान करता है लेकिन वहां पर अबकी बार फसल खराब हुई है जिससे भारतीय बासमती की मांग में तेजी देखने को मिल रहा है जिससे भारतीय घरेलू बाजार 15 से 20% तेजी आई है
Rice Price Today 2023
नवंबर माह में जो बासमती चावल(rice) 80/90 की कीमत वाला अब 105 रु हो गया हैं टुकड़ा बासमती(rice price) की कीमत 50 से कम नहीं मिल रहा जो 40 रु प्रति किलो मिल रहा था । इस साल में हम बात करें तो जून जुलाई में चावल 30% और अब 15 से 20 % कीमतें तेज हो गया हैं।
निर्यात बाजार में जबरदस्त मांग
भारतीय बासमती (indian rice) की मांग मौजूदा समय में तेजी से बढ़ी है। ईरान ने भारत से फिलहाल सीधे निर्यात नहीं है। लेकिन भारतीय चावल बहुत सारा इराक के रास्ते वहां पहुंचाया जा रहा है। इतना ही नहीं इसके अलावा सऊदी अरब और यमन में भी भारतीय चावल की मांग में तेजी देखने को मिल रहा है। इन तमाम वजहों से बासमती चावल की मांग में अब 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
आप सभी को पता होगा कि हमारे भारत में हर प्रकार के चावल का उत्पादन होता है। सभी प्रकार के चावल का हर साल निर्यात भी किया जाता है। इस समय दुनिया में सबसे ज्यादा चावल चीन करने के बाद भी भारत से टूटा हुआ चावल खरीद करता है। जिसे ताकि उसे पीसकर चावल का उत्पाद बनाया जा सके।बांग्लादेश में गैर बासमती चावल और पश्चिम एशिया के देशों में या खाड़ी देशों में बासमती चावल की मांग हो रही है।
निर्यात से चावल के दाम बढ़े हैं लेकिन साथ ही इसके कुछ और भी कारक भी है। पिछले साल चावल कारोबारियों के पास चावल ज्यादा था इस साल नहीं है। अबकी बार मौसम ने भी धान के किसानों का साथ नहीं दिया। धान की फसल जब खेत बारिश के समय अचानक मौसम गर्म हो गया। जब धान की फसल तैयार हो रही थी उस समय बारिश से उपज में करीब पांच फीसदी की गिरावट आई है।
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धान का रकबा में आई गिरावट
पिछले साल की हम बात करें तो 401.56 लाख हेक्टेयर 5.51 फीसदी गिरावट आई थीं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले सितंबर महीने तक हुई धान की बुवाई का रकबा देखें तो मध्य प्रदेश में 6.32 लाख हेक्टेयर,झारखंड में 9.32 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 2.48 लाख हेक्टेयर,पश्चिम बंगाल में 3.65 लाख हेक्टेयर, बिहार में 1.97 लाख हेक्टेयर की कमी देखने को मिली थी। इसके अलावा हम बात करें असम, पंजाब, गोवा, केरल,आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, मेघालय, ओडिशा, मिजोरम,नागालैंड, सिक्किम में भी धान का रकबा कम हुआ था।
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पिछले साल ज्यादा बासमती चावल का निर्यात
पिछले साल 2021 जनवरी से अक्टूबर माह के बीच 3.7 बिलियन डॉलर भारतीय बासमती चावल का निर्यात हुआ। साल 2020 में इसी समय में 2.9 बिलियन डॉलर के भारतीय बासमती चावल का निर्यात हुआ था। जिससे हमें साफ तौर पर पता चलता है की यह 26.68 % की बढ़ोतरी हुई है। गैर बासमती चावल की आमदनी बासमती चावल से कम है सरकार भी बासमती चावल निर्यात को बढ़ाना चाहती हैं
अगर इसी प्रकार मांग रहती है तो किसानों को धान में और तेजी को मिल सकता हैं व्यापार अपने विवेक से करें किसी भी तरह की तेजी या गिरावट आने वाली स्थिति पर भी निर्भर करती है उम्मीद है आपकों यह जानकारी उपयोगी साबित हो। सभी मंडियों के ताजा भाव देखें हमारी वेबसाइट पर हर रोज
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