दोस्तों आप सभी का हमारे वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत है दोस्तों आज हम बात करेंगे सरसों की खेती में हमें कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए जिसे हमें उत्पादन है वह अच्छा मिले। किसान भाइयों सरसों की फसल में पैदावार हेतु अब दिसंबर का महीना आधा खत्म होने को है और ऐसे में आपको इस सर्दी के मौसम में कुछ खास बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि पैदावार है वह कमजोर ना रहे।
Sarso Ki Kheti: किसान भाइयों हमारे देश में सरसों की बुवाई का स्थान में ज्यादा जल्दी होती है तो कहीं स्थान ऐसी भी हैं जहां पर अभी तक बुवाई का कार्य चल रहा है। ऐसे में बहुत से ऐसे छात्र हैं जहां पर तोरिया सरसों राय और लाही की बुवाई करने वाले किसानों को कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। आज इस रिपोर्ट के द्वारा आप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर के द्वारा जानकारी आपसे साझा की जाएगी तो आप अंत तक इसे रिपोर्ट को पूरी पढ़ें।
अभी लेट बुवाई करने वाली किसान इन किस्म का करें चुनाव
Sarso Ki Kheti: देश में अलग राज्य में अलग मिट्टी व पानी के साथ-साथ है मौसम में बदलाव है। जिसके चलते कहीं अगेती बुवाई होती है। तो कहीं पर पिछेती । इसलिए किसानों के द्वारा अभी भी बुवाई का कार्य बाकी है उनके लिए लेट किस्म का चुनाव करना आवश्यक है ताकि उन्हें उत्पादन अच्छा मिले। इसलिए पछेती बिजाई करने से पहले आप सरसों की इन किस्म का चुनाव कर सकते हैं।
1. सरसों किस्म पूसा 25
2. सरसों किस्म पूसा 26
3. सरसों किस्म पूसा 28
यह सरसों की किस्म लेट बॉय होने पर भी उच्च उत्पादन देती है और कम समय में पककर तैयार हो जाता है। अगर आप भी लेट बुवाई करते हैं तो इन किस्म का चुनाव कर सकते हैं।
उत्तर भारत के राज्यों में हरियाणा राजस्थान वह अन्य राज्यों में अब सर्दी धीरे-धीरे बढ़ रही है और तापमान 6 से 10 डिग्री तक न्यूनतम पहुंच गया है ऐसे में सरसों की फसल को पाला पड़ने से बचना बहुत ही आवश्यक है। पिछले साल भी सर्दी ज्यादा पाला गिरने के चलते सरसों में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
सरसों को पाला पड़ने से पहले क्या उपाय करें
सरसों को पाला गिरने से बचने के लिए किसान भाइयों को डाइमिथाइल सल्फो ऑक्साइड का 0.2 प्रतिशत का फसल पर छिड़काव करें या इसके अलावा थायो यूरिया का 0.1 प्रतिशत सरसों की फसल पर स्प्रे कर सकते हैं इसके अलावा किस जहां पर पानी की सुविधा है वहां पर हल्की सिंचाई करने से भी सरसों की फसल में पाला गिरने की समस्या से राहत मिल सकती है।
सरसों की फसल में खरपतवार को निकाले
आज के समय सरसों गेहूं के अलावा के सभी फसलों में खरपतवार एक आम समस्या बनती जा रही है और किसानों को इस समस्या को समय पर निवारण करना आवश्यक है। नहीं तो उत्पादन में काफी असर देखने को मिलता है। किसानों को सरसों की फसल में भी पहली सिंचाई होने से पहले और उसके बाद में खरपतवार को खेत से अवश्य निकालना चाहिए। ताकि पैदावार में प्रभाव ना देखने को मिले। क्योंकि ज्यादा खरपतवार होने के चलते जो आप खाद या पोषक तत्व देते हैं वह खरपतवार ले लेते हैं। और सरसों का उत्पादन में कमजोर हो जाता है।
खरपतवार नाशक दवा का इस्तेमाल
किसान भाइयों सरसों की फसल में खरपतवार रोकने के लिए कीटनाशक दवा भी बाजारों में मिल रही है लेकिन इसको पहले उपयोग में लाने से पहले आपको कृषि विभाग से जानकारी अवश्य लेनी चाहिए और जो मात्रा बताई गई है। उससे ज्यादा ना डालें नहीं तो आपकी फसल की ग्रोथ रुक जाएगी या सरसों खराब भी हो सकता है इसलिए आपको इन सब बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
सरसों की फसल में कितनी सिंचाई करना आवश्यक
इसके अलावा किसानों को सरसों की फसल में समय पर सिंचाई करना बहुत आवश्यक है। और जहां पर रेतीली मिट्टी है वहां पर सरसों की फसल में तीन से चार सिंचाई की जा सकती है। और वहां जहां पर धोनी में ज्यादा नमी है उन क्षेत्र में एक या दो सिंचाई से ही सरसों की फसल ली जा सकती है।
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