पिछले कुछ सालों से सरसों की कितनी किसानों ने अच्छी मात्रा में करने लगे हैं क्योंकि इस फसल को बन में किसानों को कम पानी के साथ-साथ खर्च कम होता है। वहीं अब बीच की क्वालिटी भी अच्छी हुई है। जिसके चलते उत्पादन बढ़ा है। किसानों के द्वारा खेतों में कार्य भी बिना किसी मजदूर के कम खर्च के इसका काम आसानी से किया जा सकता है। आज इस रिपोर्ट में हम जानेंगे सरसों की वैरायटी के बारे में जैसे किस लगाकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
सरसों की उन्नत किस्में पूरी जानकारी
किसानों को सरसों की फसल बो से पहले अच्छी वैरायटी का चुनाव बहुत जरूरी है क्योंकि अच्छी क्वालिटी का बीज ही उत्पादन ज्यादा होने में मुख्य भूमिका निभाता है। इसके साथ-साथ किसानों को अपने आसपास के किसानों से भी जरूर विचार विमर्श करना चाहिए। क्योंकि अन्य किसानों के द्वारा पिछले वर्ष जो भी किस्म का बुवाई की गई और अपने एरिया में अच्छी किस्म कौन सा रहा उस पर भी निर्भर करता है। लेकिन आज हम इस रिपोर्ट में आपको सरसों की कुछ किस्म के बारे में बताएंगे आईए जानते हैं पूरी जानकारी।
सरसों की पायनियर 45s35: सरसों की पायनियर में कई वैरायटी कंपनी के द्वारा लॉन्च की गई है जिसमें से पायनियर 45s35 सबसे अच्छी किस्म मानी जाती है। इस सरसों में ज्यादा समय नहीं लगता पकाने में और इसके साथ-साथ इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी रहती है। प्रति एकड़ के हिसाब से करीब 9 से 10 क्विंटल तक उत्पादन किस्म का लिया जा सकता है। इस वैरायटी को अपने बुवाई करते समय एक एकड़ में 1 किलो ग्राम बीज की मात्रा रहती है लेकिन अपने एरिया के हिसाब से आप थोड़ा कम या ज्यादा भी कर सकते हैं।
सरसों की उन्नत किस्में प्रो एग्रो केसरी 5111: सरसों की प्रो एग्रो केसरी 5111 इस वैरायटी की सरसों को भी किसानों के द्वारा अच्छी बुवाई होती है और काफी पसंद किया जाता है।और इस किस्म की सरसों के पकने की हम बात की जाए तो करीब 110 दिन का समय रहता है। वहीं एक एकड़ हिसाब से इसमें औसतन 8 से 10 क्विंटल तक पैदावार होती है। किसान अपने खेत में इस किस्म के एक एकड़ में 1 किग्रा बीच की आवश्यकता रहती है। बता दे कि किसान अपने खेत में पानी की क्वालिटी के अनुसार कम या ज्यादा भी कर सकते हैं।
सरसों की के बी एच 5106 किस्म: सरसों की इस किस्म में पकाने का समय करीब 115 से 120 दिन का रहता है वहीं इसके उत्पादन की बात की जाए तो औसतन प्रति एकड़ 8 से 10 क्विंटल तक होता है। वही इस वैरायटी में पाला पड़ने, रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी है। इस किस्म का भी बाय करते समय प्रति एकड़ के हिसाब से एक किलोग्राम बीच बुवाई करना चाहिए।
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