नमस्कार दोस्तों आज हम जानेंगे सरसों भाव भविष्य 2023 में तेजी या मंदी जानने की कोशिश करेंगे।
इस वर्ष सरसों की आवक में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली और तेल मिलों की मांग घटने से सरसों के भाव में ₹500 तक की गिरावट आ चुकी है।
सरसों में गिरावट ( सरसों भाव भविष्य 2023)
राजस्थान मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश और अन्य उत्पादक राज्यों में भी नई सरसों की आवक लगातार बढ़ रही है इसके अलावा एक महीने में तेल मिलों की लिवाली भी लगातार कमजोर होने से सरसों के भाव 5400/5500 प्रति क्विंटल रह गए हैं। अगर हम बात करें सरसों तेल में तो उसके अंदर भी हमें ₹1000 तक की गिरावट देखने को मिली और भाव ₹10900 प्रति क्विंटल है। जयपुर 42% कंडीशन सरसों का भाव ₹500 घटकर 5550 से 5575 रुपए प्रति क्विंटल बोले गए है। मंडियों में लूज में सरसों भाव 5000/ 5100 रूपये प्रति क्विंटल बोले गए।
नया सीजन शुरू होने के बाद काशीपुर में पीली सरसों के भाव 6500 रुपए से घटकर 5300 रुपए और काली सरसों के भाव 5500 रुपए से कमजोर होकर 4600 रूपये प्रति क्विंटल रह गया। पिछले साल पीली सरसों का भाव ऊपर में 7500 रुपए और काली सरसों का रेट 6500 रूपए प्रति क्विंटल के रिकॉर्ड सत्र पर पहुंच गए थे। पिछले दिनों सरसों के दाम में आई भारी तेजी के कारण किसानों का रुझान सरसों की तरफ ज्यादा बढ़ा। जिसके कारण से सरसों की बिजाई के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। इस साल नया सीजन शुरू होने के बाद सरसों में हमें करीब ₹1000 की गिरावट देखने को मिली है।
देश में पिछले साल सरसों का उत्पादन 120 लाख टन के लगभग हुआ था । देश में इस बार सरसों की बिजाई 97 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हुई है जो पिछले साल से अधिक है।
देश की विभिन्न मंडियों में सरसों की दैनिक आवक वर्तमान में 9.50 लाख बोरी दैनिक के लगभग की रही है। राजस्थानी सरसों की आवक 5 लाख, उत्तर प्रदेश में 1.5 लाख, मध्यप्रदेश में 1 लाख, गुजरात में 570 बोरी तथा अन्य उत्पादक क्षेत्रों में 1.40 लाख बोरी के लगभग हुई है ।
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सरसों में तेजी या मंदी
नया सीजन शुरू होने के बावजूद देश में सरसों का पुराना स्टाक अभी उपलब्ध है। बिजाई का रकबा बढ़ने तथा अनकूल मौसम होने के कारण सरसों का उत्पादन इस वर्ष 130 लाख टन के लगभग होने की संभावना व्यक्त की जा रही।दूसरी ओर विदेशी तेल की कीमतों में गिरावट रही । आवक का दबाव बढ़ने पर सरसों के भाव 200 / 300 रूपये और घटकर 5000 / 5100 रुपए प्रति क्विंटल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद बाजार ठहर सकता है। व्यापार अपने विवेक से करें। किसी भी फसल में तेजी या मंदी आने वाली फसल की मांग और समय की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। उम्मीद है आपको जानकारी अच्छी लगी तो आगे शेयर जरूर करें ताकि हमारी और किसान भाई है उन सब तक जानकारी पहुंच सकें।
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