इंदौर अनुसंधान संस्थान के द्वारा सोयाबीन के खेती करने वाले किसानों को 7 अगस्त से 13 अगस्त के समय के दौरान उपयोगी सलाह दी गई है।
सोयाबीन की फसल में वर्तमान समय में फूलों की अवस्था में आ गई है। इस दौरान फसल में कई प्रकार के वायरस और कीट रोग का अटैक देखने को मिल रहा है। संस्थान की दवारा किसानों को इस समय फसलों में समय-समय पर निरीक्षण करते रहना चाहिए और चक्र भृंग अगर प्रकोप दिखाई दे तो उसका समय पर नियंत्रित करने के लिए उपाय भी बताए गए हैं।
इस समय सोयाबीन की फसल घनी होने के चलते चक्र भृंग का अटैक ज्यादा होने की असर होता है। सोयाबीन की फसल में आरंभ के 1 सप्ताह में फसल के दौरान दिखाई देने लगते हैं और फसल की पत्तियां लटकी हुई या मुरझाई हुई दिखाई देने लगती है। जो पत्तियां लटकी और मुरझाई हुई से रोग से ग्रसित है उन्हें किसान तने से तोड़कर खेत से बाहर निकले या जला दें।
चक्र भृंग का नियंत्रण कैसे करें
सोयाबीन की फसल में इस रॉक के ग्रसित होने के शुरुआती अवस्था में ही एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या इसके अलावा आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/WDc (10% W/V) DC (600 मिली/हे) या इसके अलावा टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या इसके अलावा इमामेक्टीन बेन्जोएट 01.90% ई.सी. (425 मिली/ है ) या इसके अलावा थायक्लोप्रिड 21.7एस.सी. (750 मिली/हे) या इसके अलावा प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./है) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी 18.50 % SC का छिड़काव करना चाहिए। रोके फैलाव होने से पहले ही इस कीटनाशकों का प्रयोग करना।
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नोट: हमारे द्वारा दी गई जानकारी मीडिया स्त्रोत से ली गई है। किसी भी तरह की ज्यादा जानकारी के लिए अपने कृषि विभाग से संपर्क करें।