बीते कुछ समय पहले गेहूं की बढ़ती हुई कीमतों को रोकने के लिए सरकार ने ओ एम एस एस के द्वारा गेहूं बेचने का निर्णय लिया गया। और यह कार्य आरंभ हो चुका है। लेकिन रजिस्ट्रेशन करने वाली कंपनियों के द्वारा रजिस्ट्रेशन की रफ्तार धीमी पड़ने से कारोबारियों के पूरी मात्रा रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा।
Wheat Price: जिसके प्रभाव से मंडियों में गेहूं माल की एक बार फिर कमी देखने को मिली है। जिससे पिछले 2 दिन में नीचे के भाव में 35 से ₹40 प्रति क्विंटल की तेजी आई है। खपत के अनुरूप बिक्री नहीं होने से गेहूं की कीमतों में 40 से ₹50 और बढ़ सकता है।
देश में गेहूं का रेट में महंगाई को रोकने के लिए हम मानते हैं कि सरकार के द्वारा कार्रवाई तुरंत प्रभाव से की जा रही है लेकिन किसी प्राइवेट कंपनी को भारतीय खाद्य निगम द्वारा रजिस्ट्रेशन करने के लिए दिया गया है, जो कंपनी समुचित मात्रा में रजिस्ट्रेशन नहीं कर पा रही है, ऐसी व्यापारियों की मानना है।
Wheat Price: व्यापारियों के अनुसार जो कंपनी रजिस्ट्रेशन कर रही है। उनका कहना है कि 5000 एप्लीकेशन फॉर्म अभी पढ़े हुए हैं जो अभी तक नहीं हो पा रहे। केंद्र सरकार के द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री किए जाने के बाद भी कागजी कार्यवाही का समय पर पूरा ना होने से गेहूं में दोबारा से लॉरेंस रोड पर ₹2500 प्रति क्विंटल देख सकता है
व्यापारियों के अनुसार रजिस्ट्रेशन और नवीनीकरण में अभी समय लग रहा है। दिल्ली को 9000 टन गेहूं मिलने हैं, जिसमें प्रक्रिया पूरी होने के अभाव में 2600 टन ही टेंडर जारी हो पाए हैं। सभी राज्यों में सरकार का बेसिक बिक्री मूल्य 2150 रुपए प्रति क्विंटल है।
सरकार के केंद्रीय पूल में पुराना गेहूं ज्यादा नहीं है और नई गेहूं खरीद 262 लाख मैट्रिक टन के आसपास चालू विपणन वर्ष में हो पाई है। जो गत वर्ष की अपेक्षा ज्यादा है, लेकिन लक्ष्य 341.5 लाख मैट्रिक टन से कमजोर है। सरकार की बिक्री टेंडर की प्रक्रिया प्रांतवार सही समय पर होती रही, तो पूरे वर्ष गेहूं 2600 रुपए प्रति क्विंटल को दिल्ली एनसीआर में पार नहीं कर पाएगा तथा अन्य प्रांतों में भी ज्यादा महंगाई नहीं बढ़ पाएगी।
गेहूं का रेट: कुछ बाजारों में चर्चा है कि बड़ी कंपनियों के पास गेहूं का स्टॉक है तथा वह बिकवाली में कम आ रही हैं, इससे कहीं न कहीं आगे चलकर गेहूं की किल्लत मंडियों में एक बार फिर बन सकती है। दक्षिण भारत में भी टेंडर बनने लगे हैं, कोयंबटूर बैंगलोर पुणे नागपुर चेन्नई आदि सभी क्षेत्रों में 2150 रुपए प्रति क्विंटल वहां के डिपो से मिलने वाला है, इस स्थिति में उत्तर भारत से गेहूं के रैक जाने ठंडे पड़ गए हैं, इन सब परिस्थितियों में देखते हुए निकट में लंबी तेजी का व्यापार नहीं करना चाहिए। इसमें लंबी तेजी उसी समय पर आएगी, जब सरकार की कार्यवाही में कमजोरी आएगा। व्यापार अपने विवेक से करें।
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