अब धान की खेती के लिए अब समय नजदीक आ गया है और किसानों को धान की खेती के लिए सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। मौसम विभाग के अनुसार मानसून केरल में 4 जून को पहुंच सकता है। और अब कुछ एरिया के अंदर धान की खेती के लिए कुछ ही दिनों में रुपाई शुरू हो जाएगी।
धान की खेती सिंचाई का प्रबंध करें
किसानों को धान की अच्छी पैदावार के लिए सबसे पहले सिंचाई का उचित प्रबंध होना बहुत जरूरी है क्योंकि धान की खेती में पानी की मात्रा ज्यादा रखनी पड़ती है। ऐसे में अगर धान में समय पर सिंचाई ना हो तो पैदावार काफी कट जाता है।
बीज उपचार
किसान धान की रोपाई करने से पहले नर्सरी में बीज का चुनाव अच्छी किस्म का करें और बीच का अच्छे से उपचार करके ही नर्सरी में लगाएं। जानकारों के अनुसार बीज उपचारित करने में केवल 25 से ₹30 का खर्चा आता है। किसान बीज संशोधित करने के लिए 4 ग्राम स्ट्रेपटोसाइक्लीन व 75 ग्राम थीरम का प्रयोग 25 किलो बीज की मात्रा में मिलाएं।
धान की खेती के लिए किसान भाई सबसे पहले अच्छी तरह से खेत में जुताई करें और उसको कंप्यूटर लेवर द्वारा समतल कर लें। ताकि पानी समान रूप से खेतों में खड़ा रहे। खेत की मेड अच्छी तरह से मजबूत करें। ताकि पानी काफी दिनों तक खेतों में खड़ा रहे। किसान भाई एक बार खेत में धान की बुवाई करने से पहले सिंचाई कर लें और उसमें फिर खरपतवार थोड़ा उगने के बाद फिर से जुताई करें। ताकि आने वाली फसल में खरपतवार कम होगी।
पौधों को रोगों से बचाव
किसान नर्सरी में पौधों को तैयार करते समय कीट पतंगों का प्रकोप ज्यादा होता है उसके बचाव के लिए हेक्टेयर 250 इमिडाक्लोप्रिड या 1.25 क्लोरोसाइपर का ऊपर छिड़काव कर सकते हैं। किसान धान की फसल में खैरा रोग को बचाने के लिए 2 किलो बचे हुए चना के साथ 60 लीटर पानी या 400 ग्राम 6 सल्फेट में एक बार 6 किलो यूरिया मिलाकर छिड़काव करने से पौधों रोग से बचा सकते हैं।
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