चना बुवाई क्षेत्र घटा । हर रोज देखें हमारी वेबसाइट पर ताजा खबर और भाव
चना का उत्पादन:चने से बने उत्पाद चना दाल और बेसन में मांग का दबाव धीरे धीरे बढ़ने से मिलर्स की मांग चने में बढ़ने लगी है जबकि चने की आवक मंडियों में बेहद कमजोर हो रही है जिससे चने के भावों में सुधार देखने मिल रहा है जानकारों के मुताबिक सरकारी आंकड़े चने की बुवाई अच्छे बता रहे है जबकि व्यापारियों के मुताबिक चने की बुवाई में कमी आने की संभावना है कृषि मंत्रालय के अनुसार चने की बुवाई 5% बढकर 79.82 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है दूसरी और व्यापारियों का अनुमान है की किसानो को गेहू के तथा अन्य फसलों के भाव अच्छे मिलने से किसानो ने चने के बजाय अन्य फसलो की और अपना रुख किया हुवा है जिसके चलते राजस्थान में चने की बुवाई कमजोर हुई है इसके साथ उत्तरप्रदेश में भी चने की बुवाई 10/15%, कर्णाटक में 20/25% कम बताई जा रही है जबकि महाराष्ट्र में चने की बुवाई पिछले वर्ष के समान या 5/10% अधिक होने का अनुमान है यानि देश में कुल चने की बुवाई में 15/20% कमी आने का अनुमान है जानकारों का कहना है की चने का बफर स्टॉक निकाल दे तो चना का बड़ा स्टॉक नाफेड के हाथ में नहीं है और नया चना आने में अभी 2/3 माह का समय लग सकता है फिलहाल चने के भाव न्यूनतम स्तर पर चल रहे है जिसे ध्यान में रखते हुए चने में स्टॉकिस्टो की सक्रियता बढने लगी है जिससे भावो में सुधार की स्थिति देखने मिल रही है। इसे भी देखें 👉सौर ऊर्जा में राजस्थान उत्पादन में बनाया प्रथम स्थान
चना के भाव में तेजी
कल दिल्ली चना 75/100 रु बढकर राजस्थान लाइन 5175/5200 रु, मध्यप्रदेश 5125/5150 रु के भाव रहे वही आज दिल्ली चना राजस्थान लाइन 25 रु बढकर 5200/5225 रु तथा मध्यप्रदेश लाइन 5150 रु के भाव रहे इसके साथ साथ अकोला मोटर कट में आज चने के भाव में 100 रु तेज होकर 4900/5000 रु तथा नागपुर में चना 50 रु बढाकर 4975/5000 रु के भाव बोले गए
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गुजरात में चने की बुवाई में आई गिरावट
राया कृषि विभाग द्वारा जारी किये गए नवीनतम आंकड़ो के मुताबिक गुजरत में चालू सीजन की अभी तक की अवधि में रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसल चने की बुवाई में करीब 38.50% की गिरावट आई है आंकड़ो के मुताबिक गुजरात में अभी तक की अवधि में चने की बुवाई 507900 हेक्टेयर में हुयी है जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में यह बुवाई 825900 हेक्टेयर में हो चुकी थी इस गिरावट का प्रमुख कारण यह है की राज्य के सभी प्रमुख उत्पादक क्षेत्रो में बुवाई तुलनात्मक रूप से पिछड़ी हुयी है.
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