Agri community news 01 April 2023: भाव भविष्य 2023
मूंग- जड़ में भरपूर तेजी
मूंग की बड़ी फसल निकट भविष्य में आने वाली नहीं है। वर्तमान में मौसम खराब होने से मध्यप्रदेश में मूंग की फसल को भी व्यापक नुकसान हुआ है, अभी वहां की फसल में फली लग गई है, इस बरसात से अब और निकलने वाली फली मर जाएगी, जिससे प्रति हेक्टेयर मध्यप्रदेश की मूंग की उत्पादकता घटने की संभावना प्रबल हो गई है। राजस्थान की मंडियों में खपत के अनुरूप आ रही है। दूसरी ओर पिछले दिनों के बिके टेंडर के माल भी मंडियों में मंदे भाव के उतरने लगे हैं, जिससे तेजी को विराम लग गया है, लेकिन गर्मी वाली मूंग आने में लंबा समय बाकी है तथा दूसरी कोई फसल किसी भी प्रांत से आने वाली नहीं है, इन परिस्थितियों को देखते हुए मूंग की जड़ में मंदा नहीं है
उड़द-बिकवाली का प्रेशर नहीं
रंगून में उड़द के ऊंचे भाव चल रहे हैं, जिस कारण वहां के निर्यातक भाव बढ़ा कर बोल रहे हैं। यहां हाजिर माल की कमी बनी हुई है तथा निकट भविष्य में कोई उड़द आने वाली नहीं है, इन परिस्थितियों को देखते हुए उड़द घटने की गुंजाइश बिल्कुल नहीं है। यहां उड़द के भाव 200/300 रुपए तेज लग रहे हैं। चेन्नई से हाजिर लोडिंग में पड़ता महंगा लग रहा है तथा यहां दाल मिलों तथा स्टाकिस्टों के पास माल नहीं है, जिससे बाजार अभी और तेज लग रहा है
काबली चना और तेजी का व्यापार नहीं
नया काबली चना महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं कर्नाटक में बिकवाली में आने लगा है, लेकिन मंडियों में आवक का दबाव नहीं बढ़ने से चालू सप्ताह में 200/300 रुपए प्रति क्विंटल एवरेज माल में बढ़ गए थे। फिलहाल यह समय तेजी वाला नहीं है। काबली चने की बिजाई अधिक हुई है तथा उत्पादन भी अधिक आने वाला है, लेकिन पाइपलाइन में पुराना माल नहीं होने से अभी बाजार और ज्यादा नहीं घटेगा तथा सुधार में टाइम लगेगा।
मोठ अभी तेजी, किंतु बेचिए
राजस्थान की मंडियां तेज चल रही है, क्योंकि वहां बड़ी कंपनियां पडते में माल पहले से प्रतिस्पर्धात्मक मोठ की खरीद कर चुकी है, जिससे मोठ का बाजार 200 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ गया है। पाइपलाइन में माल कम है। दिल्ली मंडी में मंदे भाव के स्टाकिस्टों द्वारा माल पकड़ लिया है, जो उत्पादक मंडियों से माल नहीं मिलने से यहां बेचू नहीं आ रहे हैं। अभी स्टाक दिल्ली में ज्यादा नहीं है, इसलिए मार्च क्लोजिंग के बाद फिर बाजार तेज हो जाएगा।
तुवर- अभी और तेजी आएगी
तुवर का स्टाक नए पुराने माल का ज्यादा खरीफ वाला वितरक वाली मंडियों में कम बचा है तथा उत्पादक मंडियों से पड़ते नहीं लग रहे हैं, क्योंकि पूना, नागपुर तथा जलगांव लाइन की दाल मिलें वहां के माल की खरीद कर रही है। रंगून के माल के वहां पड़ते ऊंचे लग रहे हैं तथा महाराष्ट्र वाली दाल ज्यादा बिक रही है। इधर चेन्नई में ज्यादा माल नहीं है तथा उत्तरने वाले माल ऊंचे पड़ते के मिल रहे हैं। यही कारण है कि चालू सप्ताह के अंतराल 200/250 रुपए प्रति क्विंटल वहां बढ़ाकर बोलने लगे हैं, लेकिन सरकारी दहशत से थोड़ा बाजार सुस्त हो गया है, लेकिन आगे फिर उछल जाएगा। लेमन तुवर यहां 8675 रुपए के आसपास बिक रही है तथा चेन्नई से पड़ते महंगे लगने से बाजार फिर से 200 रुपए तेज लग रहा है
राजमां चित्रा- अधिक तेजी का व्यापार नहीं
भूटानी एवं गन्ना माल की लगातार मंडियों में मुनाफावसूली बिकवाली होती रही, जिससे 100/200 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई। जो गन्ना माल 6500/6800 रुपए बिक गया था, उसके भाव 6200 / 6500 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। साफ किये हुए माल में भी इसी अनुपात में गिरावट दर्ज की गई, इसके प्रभाव से ब्राजील चाइना एवं इथोपिया के भाव भी नीचे आ गए तथा अभी कुछ दिन और घटने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
मसूर अभी तेजी का व्यापार नहीं
गत सप्ताह 100 रुपए प्रति क्विंटल मसूर में आई गिरावट के बाद मंडियों में आवक नहीं बढ़ने से बाजार बिल्टी में 6225/6230 रुपए पर ठहर गया है। फिलहाल तेजी का व्यापार तो नहीं करना चाहिए, लेकिन मंडियों में आवक बढ़ने तक बाजार कुछ दिन यहां टिक रहेंगे, उसके बाद फिर बाजार घटना शुरू होगा तथा जड़ में तेजी नहीं है। इधर विदेशी मसूर का स्टाक भारतीय बंदरगाहों पर खपत के अनुरूप पड़ा हुआ है तथा अभी लगातार रुक-रुक कर आयातको के माल उतर रहे हैं। मुंदड़ा बंदरगाह का माल दिल्ली पहुंच में 6050 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में मिल रहा है। अभी यहां से लंबी तेजी नहीं लग रही है।
देसी चना – माल कम से आगे तेजी
देसी चने की बिजाई महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान में बहुत कम हुई है। दूसरी ओर विदेशों से कोई आयात पड़ता नहीं हैं, इसे देखते हुए आगे चलकर शॉर्टज की स्थिति बनी रहने की संभावना है। वर्तमान में देसी चने का स्टाक एवं आपूर्ति मंडियों में काफी घट गई है। कुछ बाहरी ट्रेड के कारोबारी जो तेजी मंदी के लिए माल रखे थे और फसल निकट को देखकर काटने लगे, जिससे एक सप्ताह से बाजार 5300/5325 रुपए पर टिके हुए हैं। उत्पादक मंडियों से पड़ते बिल्कुल नहीं लग रहे हैं। इधर दाल मिलें स्टॉक के मामले में खाली चल रही हैं। नई फसल का कहीं कोई जोर नहीं दिखाई दे रहा है, पुराने माल पहले ही कट गए हैं। अत: जड़ में मंदा नहीं है
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नोट:-व्यापार अपने विवेक से करें । हमारा काम किसानों तक सही जानकारी पहुंचाना है। किसी भी फसल में तेजी आ मंदी आने वाली परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं। किसी भी लाभ या होनी होने पर सुपर मंडी भाव जिम्मेवार नहीं है।