Hopper Disease in Mustard: सरसों की खेती गेहूं के बाद में रबी में सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसलों में से एक है खासकर उत्तर भारत के राज्य में इसलिए किसानों को सरसों की खेती में वैसे तो अन्य भजनों के मुकाबले का मेहनत और कम खर्चे में होती है। लेकिन किसानों भाइयों को सरसों की फसल में तेला व चेपा (माहू कीट) रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय उठाने चाहिए। नहीं तो उत्पादन में काफी असर देखने को मिलता है। आज हम इस आर्टिकल के द्वारा सरसों की फसल में तेला व चेपा (माहू कीट) इस रोग के बारे में जानकारी देंगे इसलिए आप इस रिपोर्ट को लास्ट तक जरूर पढ़ें…
सरसों की फसल में तेला व चेपा (माहू कीट) रोग कब होता है
दिसंबर महीना बीतने को है और जो अगेती सरसों की बिजाई हुई थी। वहां पर अब फूल भी झरना आरंभ हो चुके हैं। किसानों के द्वारा पहली सिंचाई हो चुकी है। और कहीं कहीं अब दूसरी सिंचाई किसानों के द्वारा की जा रही है। ऐसे में किसानों को जनवरी और फरवरी के महीने में जैसे ही तापमान में बढ़ोतरी होती है। यानी सर्दी कम होने लगती है तो सरसों की फसल में तेला व चेपा (माहू कीट) रोग ( Hopper Disease in Mustard) लगने का खतरा बढ़ जाता है।
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सरसों की फसल में तेला व चेपा की पहचान कैसे करें
सरसों की फसल में जैसे ही तापमान में वृद्धि होगी। इस रोग के बढ़ने के चांस ज्यादातर इलाकों में देखने को मिलते हैं। बता दें कि सरसों की फसल में तेला व चेपा पहचान करना किसानों के लिए मुश्किल नहीं है। बल्कि यह साफ दिखाई देता है। बता दे कि यह हरे रंग की छोटे-छोटे किट होते हैं। जो एक स्थान पर इकट्ठे टहनियां में लगते हैं। जो सरसों की फसल में लगने के बाद तनों का रस चूसते हैं। और उसे फसल के उत्पादन में काफी असर डालते हैं। बता दें कि यह रोग लगने के बाद सरसों में फूल आना बंद हो जाते हैं। तो इस रोग की प्रकोप सरसों की फसल में थोड़ा बहुत दिखाई देने पर किसानों को तुरंत रोकथाम करनी चाहिए। नहीं तो उत्पादन में काफी असर देखने को मिलता है।
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सरसों की फसल में तेला व चेपा को नियंत्रण कैसे करें
सरसों में होने वाले इस रोग को नियंत्रित करना उतना कठिन नहीं है। लेकिन किसानों को सही कीटनाशकों का ही चयन करना चाहिए। क्योंकि फसल में बहुत से मित्र कीट होते हैं। वह अगर सही कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाए। तो वह भी साथ में ही मर जाते हैं। इसलिए उत्पादन में भी नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है इसलिए किसान भाइयों को छिड़काव करने से पहले अच्छी दवाइयां का चयन करना बहुत ही आवश्यक है।
किसानों को फसल में लगने वाले इस रोग को नियंत्रित करने हेतु सिस्टमैटिक कितना कीटनाशक का उपयोग में लाना चाहिए। क्योंकि इससे यह किट संक्रमित कीटनाशक से नियंत्रित नहीं होते हैं। और ऐसे में इस रोग को नियंत्रित करने में कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है।
सरसों की फसल तेला व चेपा की दवा
सरसों की फसल तेला व चेपा (माहू कीट) रोग के लिए प्रति एकड़ एसिटामिप्रिड ( 20% Sp) की 100g या फिर इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) 100 मिलीलीटर, या फिप्रोनिल ( 5% SC) की 250g मात्रा प्रति लीटर प्रति एकड़ या थियामेथोक्सम (25% WG) की 100g से 150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ फसल में स्प्रे द्वारा छिड़काव करना चाहिए।
किसान भाई इसके साथ फंगीसाइड का भी छिड़काव कर सकते हैं इसके लिए हारु (टेबुकोनाज़ोल 10% + sulphur 65% WG) 500g प्रति एकड़ का छिड़काव करें। इसके सरसों में बेहतर परिणाम मिलेगा ।
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नोट :- आज हमने जाना सरसों की फसल में तेला व चेपा (माहू कीट) रोकथाम के लिए आवश्यक उपाय क्या उठाने चाहिए। इससे ज्यादा जानकारी प्राप्त करने या कीटनाशकों की ज्यादा जानकारी के लिए अपने आसपास के नजदीकी कृषि विशेषज्ञों से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।