शनिवार को तेल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण घरेलू बाजार में लगातार दूसरे दिन सरसों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 50 रुपये घटकर भाव 5550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें शनिवार को क्रमशः 1092 रुपये और 1082 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर बनी रही। इस दौरान सरसों खल की कीमतें 2400 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही।
इस दौरान सरसों की दैनिक आवक 9.50 लाख बोरियों पर स्थिर बनी रही। व्यापारियों के मुताबिक सरसों के उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है, जिस कारण आने वाले दिनों में दैनिक आवकों में ज्यादा गति मिलेगी। लेकिन अभी तेल मिलें केवल जरूरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। जिससे सरसों कीमतों पर दबाव बना हुआ है।
सरसों का भाव (sarso Ka Bhav)
आदमपुर पुरानी सरसों 40.5 लेब 5264 रूपये, नई सरसों 5180 रूपये ,श्री गंगानगर सरसों 4690/ 5035 रूपये ,नई सरसों 4225/5205 रूपये ,श्री माधोपुर पीली सरसों 4800/5200 रूपये ,रायड़ा 4000/5080 रूपये ,ऐलनाबाद सरसों नया 4500/ 5211 रूपये ,नोहर सरसो 4800/5095 रूपये,देवली मंडी सरसों 4200 से 5350 रूपये, रायसिंहनगर सरसों 4300 से 5118 ,संगरिया सरसों 4700/5191 रूपये, रावतसर सरसों 5050 रूपये,भट्टू नई सरसों 5310 रूपये अन्य सभी मंडियों का भाव देखें 👉 यहां पर दबाएं
वैसे भी चालू सीजन में सरसों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में चालू सप्ताह में आई गिरावट के कारण घरेलू बाजार में सरसों तेल के दाम कमजोर हुए है।
जानकारों की मानें तो विदेशी बाजार में अभी खाद्य तेलों की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक शनिवार को 9.50 लाख बोरियों की हुई, जबकि इसके पिछले दिन यानी शुक्रवार को दैनिक आवक इतनी ही बोरियों की हुई थी।
कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में 5 लाख बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में एक लाख बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 1.05 लाख बोरी,पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 35 हजार बोरी तथा गुजरात में 70 हजार बोरी, तथा अन्य राज्यों की मंडियों में 1.40 लाख बोरियों की आवक हुई।
आने वाले दिनों में आपूर्ति का दबाव बढ़ने की संभावना को देखते हुए सरसों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है बाजार और घट सकता है।व्यापार अपने विवेक से करें। किसी भी फसल में तेजी या गिरावट आने वाली परिस्थितियों पर निर्भर करती है।
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