गेहूं व जौ की फसल में तेला, चेपा (अल) (Tela Insect in Wheat Crop) के क्या लक्षण है, रोकथाम के लिए कौन सा कीटनाशक दवा फसल डालना चाहिए।
इस नई साल का जनवरी का महीना आधा आ चुका है ऐसे में किसने की फसल सरसों गेहूं और जो की बड़ी हो चुकी है। ऐसे में किसानों को अब इन फसलों में तेला, चेपा रोग (Tela Insect in Wheat Crop) जैसे ही मौसम में बदलाव होता है। देखने को मिलता है, ऐसे में किसानों को अपनी फसल में यह रोग का प्रकोप ज्यादा होने के चलते उत्पादन में काफी असर देखने को मिलता है।
गेहूं व जौ की फसलों में बालियां बनना शुरू कर दिया है। ऐसे में फसल में तेला, चेपा (अल) का आक्रमण होने के चलते। इस कीट के बच्चे व प्रौढ़ पत्तों और बालियां से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं। जिसके चलते फसल में बढ़वार में काफी असर पड़ता है और उत्पादन कम होने लगता है। ऐसे में किसानों को Tela Insect in Wheat Crop समय पर नियंत्रित करना चाहिए। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे तेला, चेपा (अल) के लक्षण, और इसके रोकथाम में कौन सी दवा डालें।
जौ, गेहूं की फसल में तेला व चेपा रोग के लक्षण । Tela Insect in Wheat Crop
जौ और गेहूं की फसल में तेला, चेपा रोग को
ऐफिड व थ्रीपंस के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस रोज के लक्षण के बारे मे कृषि विशेषज्ञ के अनुसार चेपा रोग के किट हरा रंग का होता है। वही तेला का किट काला रंग का किट होता है। ये दोनों ही किट गेहूं और जौ की फसल में बालियां पर और फसल के पत्तियों पर पाया जाता है। गेहूं, जौ में इस रोग होने पर फसल की पत्तियां चिपचिपा और तेलिया जैसा हो जाता है और काला रंग के होना आरंभ हो जाएगा।
जौ और गेहूं की फसल में तेला व चेपा रोग की रोकथाम कैसे करें
Tela Insect in Wheat Crop: जौ गेहूं की फसल में कृषि विशेषज्ञ के मुताबिक किसानों को इस रोग से बचाव के लिए 60 दिन की हो गई है। तो फसल में यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जौ और गेहूं की फसल में यह रोग जैसे ही गर्म दिन आते हैं। फरवरी तथा मार्च के शुरू होता है। किसानों को अपनी फसल को थोड़ा पीला होगा तो इस रोग से बचाव होता है। वैसे फसलों के लिए यह घातक रोग नहीं है। इसे किस समय पर स्प्रे द्वारा छिड़काव करते हैं। तो आसानी से रोकथाम किया जा सकता है।
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जौ और गेहूं में तेला व चेपा रोग के लिए कौन सा दवा डालें
किसानों को गेहूं और जौ की फसल में Tela Insect in Wheat Crop इस रोग की रोकथाम के लिए 400 मि.ली. मैलाथियान 50 ईसी, 500 मिलीलीटर एंडोसल्फान 35 ईसी कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करना चाहिए या फिर इसके अलावा किसान अपनी फसल में कंफीडोर का प्रयोग कर सकते हैं। इन कीटनाशक दवा के साथ किसानों को प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर तक पानी अच्छी तरह से मिलाकर स्प्रे के द्वारा फसल पर छिड़काव करें।
नोट: किसानों को गेहूं या जो की फसल में इन रोग को लगने के बाद फसल में एक बार निरीक्षण करें कि आपकी फसल में अगर 100 बोलियों में से 10 से 12 बोलियों में यह किट दिखाई देता है या 10 से 12 पत्तियों में यह रोग ज्यादा दिखता है। तो ही स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए। गेहूं और जौ में तेला चेपा रोग Tela Insect in Wheat Crop के अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आपने आसपास के नजदीकी कृषि विभाग विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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